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Thursday, June 25, 2009

हवाओं में ऐसी ख़ुशबू पहले कभी न थी

हवाओं में ऐसी ख़ुशबू पहले कभी न थी
ये चाल बहकी बहकी पहले कभी न थी

ज़ुल्फ़ ने खुलके उसका चेहरा छुपा लिया
घटा आसमा पे ऐसी पहले कभी न थी

आँखें तरस रहीं हैं दीदार को उनके
दिल में तो ऐसी बेबसी पहले कभी न थी

फूलों पे रख दिए हैं शबनम ने कैसे मोती
फूलों पे ऐसी रौनक पहले कभी न थी

यादों की दस्तकों ने दरे दिल को खटखटाया
आती थी याद पहले पर ऐसी कभी न थी

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1 comment:

Anonymous said...

यह सच है, मेरा चिट्ठा, विचार स्थल है, समाचार स्थल (news site) नही, समाचार के लिये बहुत सी अच्छी वैब साइट है, यहाँ मै सिर्फ अपने विचार आपके सामने रखता हूँ.

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