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Tuesday, November 24, 2009

क्या अटलबिहारी वाजपेयी दोषी हैं...?

भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को भी लिब्रहान आयोग ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढाँचा ढहाए जाने के मामले में दोषी करार दिया है, जबकि आयोग ने पूछताछ के दौरान वाजपेयी को कभी नहीं बुलाया न ही उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। इस पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। क्या आपको लगता है कि 'हिन्दुत्व के उदारवादी चेहरे' अटलजी बाबरी विध्वंस के दोषी हो सकते हैं? क्या लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर भरोसा किया जा सकता है?
इस मुद्‍दे पर क्या सोचते हैं आप... अपने विचार प्रेषित करें...

 

 

   

 

 

Monday, November 23, 2009

चाणक्य नीति

 

 

आज से करीब 2300 साल पहले पहले पैदा हुए चाणक्य भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पहले विचारक माने जाते

 

ैं। पाटलिपुत्र (पटना) के शक्तिशाली नंद वंश को उखाड़ फेंकने और अपने शिष्य चंदगुप्त मौर्य को बतौर राजा स्थापित करने में चाणक्य का अहम योगदान रहा। ज्ञान के केंद्र तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य रहे चाणक्य राजनीति के चतुर खिलाड़ी थे और इसी कारण उनकी नीति कोरे आदर्शवाद पर नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान पर टिकी है। आगे दिए जा रहीं उनकी कुछ बातें भी चाणक्य नीति की इसी विशेषता के दर्शन होते हैं :

- किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे काटे जाते हैं और बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं।

- अगर कोई सांप जहरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।

- सबसे बड़ा गुरुमंत्र : कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ साझा मत करो, यह प्रवृत्ति तुम्हें बर्बाद कर देगी।

- हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है।

- अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले पांच साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए। लेकिन जब बच्चा सोलह साल का हो जाए, तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। बड़े बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त होते हैं।

- दिल में प्यार रखने वाले लोगों को दुख ही झेलने पड़ते हैं। दिल में प्यार पनपने पर बहुत सुख महसूस होता है, मगर इस सुख के साथ एक डर भी अंदर ही अंदर पनपने लगता है, खोने का डर, अधिकार कम होने का डर आदि-आदि। मगर दिल में प्यार पनपे नहीं, ऐसा तो हो नहीं सकता। तो प्यार पनपे मगर कुछ समझदारी के साथ। संक्षेप में कहें तो प्रीति में चालाकी रखने वाले ही अंतत: सुखी रहते हैं।

- ऐसा पैसा जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोड़ने पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।

- नीच प्रवृति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश हो जाते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। जिस तरह से रेत के टीले को अपनी बांबी समझकर सांप घुस जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है, उसी तरह से ऐसे लोग भी अपनी बुराइयों के बोझ तले मर जाते हैं।

- जो बीत गया, सो बीत गया। अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया हो तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को संवारना चाहिए।

- असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं। बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं।

- संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें। लेकिन अपनी आत्मा की हिफाजत हमें अपने परिवार और धन को भी दांव पर लगाकर करनी चाहिए।

- भाई-बंधुओं की परख संकट के समय और अपनी स्त्री की परख धन के नष्ट हो जाने पर ही होती है।

- कष्टों से भी बड़ा कष्ट दूसरों के घर पर रहना है।

 

 

 

Monday, November 9, 2009

HR Mantra

 

Many young and upcoming professionals succeed in their careers because of certain common characteristics

  • Hard and Intelligent work,
  • A thirst for learning,
  • Being flexible,
  • Showing initiative,
  • Taking calculated risks,
  • Personal sacrifices,
  • Seeking help when necessary and
  • Reaching out to those in need of help,
  • and above all integrity in relationships with people they work with.
  • These attributes are even more strongly required as they move up the organizational hierarchy and reach senior positions.

 

 

 

 

   

 

 

Friday, November 6, 2009

शवासन और अदबासन: तनाव दूर करने में कारगर

 

शवासन
के तनाव भरे माहौल में शवासन का हमारे दिनचर्या में विशेष महत्व है। शवासन को नियमित करने से तनाव दूर होता है, हमारे मस्तिष्क को जब आराम नहीं मिलता तो वह तनाव से घिर जाता है। ऐसी हालात में नींद आने की समस्या आम हो जाती है।
शवासन करने से इस समस्या से तुरंत आराम मिलता है। इस आसन को करने से उच्च रक्तचाप सामान्य रहता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे दिमाग पर भी बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे बचने के लिए हमें कुछ पल निकालकर शवासन और अदबासन जैसे विश्रात्मक आसन का अभ्यास करना चाहिए। शवासन और अदबासन करने से हम शारीरिक और मानसिक थकान को दूर भगा सकते हैं। आवश्यकता है आपके अपने दिनचर्या में इसे शामिल करने की। योगासन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान देना आवश्यक है। पहली है मानसिक सजगता, दूसरी सांस का ध्यान और तीसरी है आप अपने पूरे मनोयोग से योगासन करें और महसूस करे कि आपका मन भी इस प्रक्रिया में सम्मिलित है। शरीर में किसी प्रकार का तनाव रखें। अगर आप योग का सहारा लेना चाहते हैं तो शवासन और अदबासन के अभ्यास से आप तनावरहित हो जाएंगे। आपका मस्तिष्क भी शांत हो जाएगा। इससे आपके शरीर में नए स्फूर्ति का संचार होगा।
शवासन करने की प्रक्रिया
पीठ के बल लेट जाएं और दोनों पैरों में डेढ़ फुट का अंतर रखें। दोनों हाथों को शरीर से 15 सेमी की दूरी पर रखें। हथेली का रुख ऊपर की ओर होगा। सिर को सहारा देने के लिए तौलिया या किसी कपड़े को दोहरा कर सिर के नीचे रख सकते हैं। इस दौरान यह ध्यान रखें कि सिर सीधा रहे। शरीर को तनावरहित करने के लिए अपनी कमर और कंधों को व्यवस्थित कर लें। शरीर के सभी अंगों को ढीला छोड़ दें। आंखों को कोमलता से बंद कर लें। शवासन करने के दौरान किसी भी अंग को हिलाना-डुलाना नहीं है। आप अपनी सजगता को सांस की ओर लगाएं और उसे ज्यादा से ज्यादा  लयबध्द करने का प्रयास करें। गहरी सांसें भरें और सांस छोड़ते हुए ऐसा महसूस करें कि पूरा शरीर शिथिल होता जा रहा है। शरीर के सभी अंग शांत हो गए हैं।
कुछ देर सांस की सजगता को बनाए रखें, आंखें बंद ही रखें और भू-मध्य में एक योति का प्रकाश देखने का प्रयास करें। अगर कोई विचार मन में आए तो उसे साक्षी भाव से देखें, उससे जुड़िए नहीं, उसे देखते जाएं और उसे जाने दें। कुछ ही पल में आप मानसिक रूप से भी शांत और तनावरहित हो जाएंगे। आंखे बंद रखते हुए इसी अवस्था में आप 10 से 1 तक उल्टी गिनती गिनें। उदाहरण के तौर पर मैं सांस ले रहा हूं 10, मैं सांस छोड़ रहा हूं 10, मैं सांस ले रहा हूं 9, मैं सांस छोड़ रहा हूं 9 इस प्रकार शून्य तक गिनती को मन ही मन गिनें। अगर आपका मन भटक जाए और आप गिनती भूल जाएं तो दोबारा उल्टी गिनती शुरू करें।  सांस की सजगता के साथ गिनती करने से आपका मन थोड़ी देर में शांत हो जाएगा।
शवासन करने का समय
योग की पाठशाला में आप 1 या 2 मिनट तक शवासन का अभ्यास कर सकते हैं। अलग से समय निकाल पाए तो 20 मिनट तक शवासन अभ्यास नियमित करना चाहिए। खासकर थक जाने के बाद या सोने से पहले।
सावधानियां
शवासन के दौरान किसी भी अंग को हिलाएं नहीं। सजगता से मन को  सांस की ओर लगाकर रखें। अंत में अपनी चेतना को शरीर के प्रति लेकर आएं। दोनों पैरों को मिलाइए, दोनों हथेलियों को आपस में रगड़िए और इसकी गर्मी को अपनी आंखों पर धारण करें। इसके बाद हाथ सीधे कर लें और आंखे खोल लें।
लाभ
शवासन एक मात्र ऐसा आसन है, जिसे हर वर्ग और उम्र के लोग कर सकते हैं। यह सरल भी है। पूरी सजगता के साथ किया जाए तो तनाव दूर होता है, उच्च रक्तचाप सामान्य होता है, अनिद्रा को दूर किया जा सकता है। शरीर जब शिथिल होता है, मन शांत हो जाता है तो आप अपनी चेतना के प्रति सजग हो जाते हैं। इस प्रकार आप अपनी प्राण ऊर्जा को फिर से स्थापित कर पाते हैं। इससे आपके शरीर तरोताजा हो जाता है।
अदबासन
जिस प्रकार मंदिरों में प्रभु के दरबार में दंडवत प्रणाम करते हैं, उसी प्रकार अदबासन करने के लिए हम पेट के बल लेटते हैं, माथा जमीन से स्पर्श करते हैं और दोनों हाथों को सिर से आगे की ओर फैलाकर रखते हैं। इस दौरान हथेली जमीन की ओर होना चाहिए। अदबासन शरीर के सभी अंगों में शिथिलता लाता है। यह मन को शांत और तनावरहित करने में भी है सहायक है। सांस को सामान्य रखें। लयबध्द तरीके से सांस लें। पेट को फुलाएं और सांस छोड़ते हुए पेट को पिचकाएं अदबासन को आप 1-2 मिनट या जब तक आपको आराम मिले अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं।
विशेष बात
आप उल्टी गिनती का अभ्यास सांस की सजगता के साथ कर सकते हैं। अपनी चेतना को सांस के साथ लगाकर रखे। शरीर के सभी अंगों को बारी-बारी से शिथिल करते जाएं। मन में ऐसी धारणा बनाएं और अपना ध्यान मध्य में लगाकर रखें।
लाभ
जिन्हें गले के पिछले हिस्से में दर्द या तनाव रहता है या स्लिप डिस्क की समस्या है, ऐसे लोग अगर अदबासन करें तो उन्हें आराम मिलेगा।
इस आसन में लोग आराम भी कर सकते हैं। यह शरीर के सभी अंगों में शिथिलता लाता है. अदबासन मन को शांत और तनावरहित करने में भी है सहायक।