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Monday, June 29, 2009

कौन-सा कोर्स चुनें? प्रोफेशनल या एकेडमिक

कौन-सा कोर्स चुनें? प्रोफेशनल या एकेडमिकबारहवीं के बाद वह समय आरंभ होता है, जब आप स्कूल की दहलीज पार कर कॉलेज- विश्वविद्यालय के एक वृहद संसार में प्रवेश करते हैं। इस समय विद्यार्थी ऐसे चौराहे पर खडे होते हैं, जहां उन्हें एक खास रास्ते का चुनाव करना होता है। ऐसा रास्ता, जो उन्हें उनके मनपसंद करियर के मुकाम तक पहुंचाए।

कमी नहीं विकल्पों की

पहले की तुलना में आज विकल्पों की कमी नहीं है। आज इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, टीचिंग जैसे परंपरागत विषयों के साथ-साथ सैकडों नए विकल्प भी सामने आ गए हैं। ऐसे में एक या दो विषय में ही उच्च शिक्षा हासिल करने की मजबूरी नहीं रह गई है! बारहवीं के बाद ही तय करना होता है कि आप प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं या फिर एकेडमिक कोर्स।

क्या पढें, क्या न पढें

ऐसे चौराहे पर अधिकांश छात्र यह तय नहीं कर पाते कि वे क्या पढें और क्या न पढें! इस दुविधा से निकलने का कोई उपाय उन्हें नहीं सूझता। मार्गदर्शन न मिलने के कारण अधिकांश स्टूडेंट्स अपने मित्रों की देखा-देखी ही कोर्स चुन लेते हैं या फिर अपने अभिभावक की इच्छा से मेडिकल या इंजीनियरिंग की राह पर आगे बढने का प्रयास करते हैं। दूसरों की देखा-देखी या फिर अभिभावक के दबाव से किसी कोर्स का चुनाव हर स्टूडेंट के लिए सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि ऐसी स्थिति में आगे चलकर छात्र के प्रदर्शन के साथ-साथ उसका करियर भी प्रभावित हो सकता है। चूंकि अब विकल्पों की कमी नहीं है, इसलिए अपनी पसंद के करियर का ध्यान रखकर उससे संबंधित कोर्स करना ही बेहतर होगा।

फोकस करियर पर

बारहवीं के बाद बिना किसी लक्ष्य के पढाई करने का कोई औचित्य नहीं। इस समय किसी भी तरह के कोर्स का चयन करते समय करियर को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है। आप जिस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उससे संबंधित कोर्सो के सभी विकल्पों पर विचार कर लें। इस बात की भी जांच कर लें कि उससे संबंधित समुचित योग्यता आपमें है या नहीं!

न करें दूसरों से तुलना

अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढाई ही कराना चाहते हैं, इस बात को समझे बिना कि वह इसमें सक्षम है या नहीं! इसके लिए वे दूसरों से तुलना भी करते हैं। यह प्रवृत्ति उचित नहीं मानी जा सकती। देखा जाए, तो वर्ष 2007 में आईआईटी की 5500 सीटों के लिए हुई प्रवेश परीक्षा जेईई में करीब ढाई लाख छात्र सम्मिलित हुए थे। 2008 में इसमें करीब सवा तीन लाख स्टूडेंट्स बैठे थे, जबकि इस साल यानी 2009 के लिए आईआईटी-जेईई में कुल 8000 सीटों के लिए लगभग नौ लाख स्टूडेंट्स शामिल हो रहे हैं। जाहिर है कि आईआईटी के लिए सिर्फ कुछ हजार युवाओं का ही चयन हो पाता है और शेष लाखों असफल होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इस तरह की प्रवेश परीक्षा में खुद का आकलन करके ही शामिल हों। साथ ही, एक सीधी रेखा में चलने की बजाय दूसरे करियर विकल्प पर भी जरूर विचार करें।

एकेडमिक बनाम प्रोफेशनल कोर्स

बारहवीं के बाद एकेडमिक के साथ-साथ तमाम प्रोफेशनल कोर्स भी प्राय: सभी कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। आप अपनी रुचि के अनुसार इनमें से किसी का चुनाव कर सकते हैं :

एकेडमिक कोर्सेज :  एकेडमिक कोर्सो में बीए-ऑनर्सबीए-प्रोग्रामबीएससी-मैथबीएससी-बायोबीएससी-एग्रिकल्चर जैसे कोर्स तीन वर्षीय कोर्स हैं, जिसके बाद दो वर्षीय एमएएमएससी और आगे एमफिलपीएचडी भी किया जा सकता है। बीए-ऑनर्स और प्रोग्राम में भी अनगिनत विषयों के विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा, बीकॉम जैसा कोर्स भी किया जा सकता है। इसे पूरा करने के बाद प्रोफेशनल करियर भी अपना सकते हैं या फिर चाहें, तो इसमें आगे एमकॉम भी कर सकते हैं। इसी तरह बारहवीं के बाद पांच वर्षीय एकीकृत लॉ कोर्स करके भी एडवोकेट या लीगल एडवाइजर के रूप में करियर की शुरुआत की जा सकती है। वैसे, इसमें भी एलएलएम कर योग्यता बढाई जा सकती है या फिर लॉ टीचर के रूप में करियर का द्वार खोला जा सकता है।

प्रोफेशनल कोर्सेज :  बारहवीं पीसीएम स्टूडेंट्स आईआईटी-जेईईएआईईईईराज्य इंजीनियरिंग परीक्षाओं आदि में शामिल होकर विभिन्न ब्रांचों में किसी एक में चार वर्षीय बीई-बीटेक कर सकते हैं और इंजीनियर बनने की राह आसान बना सकते हैं। उधर, बारहवीं पीसीबी से करने वाले छात्र एआईपीएमटीसीपीएमटी या अन्य मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम देकर एमबीबीएस या समकक्ष कोर्स पूरा कर डॉक्टर के रूप में करियर संवार सकते हैं। इसके अलावा, बीसीए यानी बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशन कोर्स करके आईटी फील्ड में जॉब पाया जा सकता है या फिर चाहें तो इसके बाद एमसीए करके योग्यता और बढा सकते हैं। इन दिनों मीडिया के ग्लैमर को देखते हुए बीजे यानी बैचलर ऑफ जर्नलिज्म कोर्स का क्रेज भी युवाओं के सिर चढकर बोल रहा है। इसके अतिरिक्त, आप अपनी रुचि के अनुसार डिजाइनिंग, एनिमेशनमल्टी मीडिया, गेमिंगहार्डवेयर-नेटवर्किंग, कम्प्यूटर अकाउंटिंगफार्मेसी, क्लीनिकल रिसर्च, पैरामेडिकल आदि जैसे कोर्स करके भी आकर्षक करियर की सीढियां चढ सकते हैं।

सभी विकल्पों पर करें विचार

साइंस से बारहवीं करने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग या मेडिकल फील्ड में ही जाने का सपना देखते हैं। वे किसी अन्य विकल्प पर विचार नहीं करते। दरअसल, आज तमाम कॉलेज और विश्वविद्यालय बारहवीं के बाद कई तरह के जॉब ओरिएंटेड कोर्स करा रहे हैं। इनमें प्रवेश से लेकर डिग्री के साथ-साथ प्रोफेशनल योग्यता हासिल कर जॉब मार्केट में प्रवेश किया जा सकता है। अगर आप विज्ञान से बीएससी करते हैं, तो इसके बाद न्यूक्लियर साइंस, नैनो-टेक्नोलॉजीइंडस्ट्रियल केमिस्ट्री आदि में बिना बीटेक किए सीधे एमटेक कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अप्लॉयड फिजिकल सांइस से संबंधित विषयों या बॉयोटेक्नोलॉजीफूड टेक्नोलॉजी, फिशरीज जैसे अप्लॉयड लाइफ साइंस से संबंधित विषयों में भी बीएससी कर सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए ..

किसी विश्वविद्यालय से प्रोफेशनल कोर्स करने के लिए इधर-उधर भटकने के बजाय उसकी साइट पर जाकर पता करें कि स्नातक स्तर पर कौन-कौन से कोर्स उपलब्ध हैं, उनकी अवधि कितनी है तथा उस पर कितना खर्चा आएगा? इस बारे में पत्र-पत्रिकाओं में संस्थान के बारे में प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों को भी ध्यान से पढें, क्योंकि उनसे भी आपको पर्याप्त जानकारी मिल सकती है।

आ‌र्ट्स को कम करके न आंकें

आज हर किसी की जुबां से साइंस का बखान सुनकर यह न समझें कि आ‌र्ट्स से संबंधित विषय बेकार हैं और उनमें कोई आकर्षक करियर नहीं है। आज जमाना तेजी से बदल रहा है। ऐसे में कोई विषय बेकार नहीं है। इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि आज अधिकतर आ‌र्ट्स कॉलेज में एडमिशन के लिए कम से 70 से 75 प्रतिशत अंक की मांग की जाती है। इस स्ट्रीम के विषयों में भी अब खूब अंक मिलने लगे हैं। अगर आपकी रुचि कला वर्ग के विषयों में है, तो बेहिचक इसी रास्ते पर कदम बढाएं। हां, इस बारे में करियर संबंधी सभी विकल्पों पर भी जरूर विचार कर लें। अगर आप सही दिशा में कदम बढाते हैं, तो करियर की नई बुलंदियां छूने से आपको कोई रोक नहीं सकता।

बनाएं संतुलन

कोई भी निर्णय लेने से पहले दिल और दिमाग दोनों का संतुलन बिठाएं। दिल जहां आपको यह बताएगा कि आपको क्या करने में खुशी मिलेगी, तो वहीं दिमाग बताएगा कि क्या अच्छा है और क्या नहीं? इन दोनों के संतुलन से आप उपयोगी और सक्षम बनाने वाले करियर की ओर बढ सकते हैं। इसके साथ-साथ आज के प्रतिस्पर्धी दौर को देखते हुए सिर्फ एक ही विकल्प पर निर्भर रहने के बजाय अपने लिए एक से अधिक करियर विकल्प भी जरूर तैयार करें। इससे एक रास्ता किसी कारण बंद होने की सूरत में दूसरा रास्ता खुला रहेगा। इसके अलावा, अपनी पसंद का कोर्स चुनने से पहले इस बात की जांच भी जरूर करें कि क्या आपके पास उसके लिए आवश्यक योग्यता है? यदि इसमें कुछ कमी है, तो फिर इसे किस तरह डेवॅलप किया जा सकता है?

जरूरी बातें ..

कोई भी कोर्स चुनने से पहले अपनी रुचि, योग्यता और उसमें उपलब्ध करियर विकल्पों पर जरूर विचार करें।

दूसरों की देखा-देखी या पारंपरिक रूप से प्रचलित कोर्सों की बजाय अपनी रुचि के नए विकल्पों को आजमाने में संकोच न करें, क्योंकि अब इनमें भी आकर्षक करियर बनाया जा सकता है।

अगर आ‌र्ट्स में रुचि है, तो इसमें कदम आगे बढाने में बिल्कुल न झिझकें। इसमें भी बहुतेर े विकल्प हैं।

यदि निर्णय लेने में कोई दुविधा है, तो काउंसलर की सलाह अवश्य लें।

बारहवीं के बाद बिना किसी लक्ष्य के पढाई न करें, बल्कि पहले दिशा तय कर लें और फिर उसके अनुरूप प्रयास करें।

जो कोर्स करना चाहते हैं, उसे संचालित करने वाले सभी मान्यता प्राप्त प्रमुख संस्थानों के बारे में जरूर पता कर लें।

लक्ष्य तय करके बढाएं कदम

स्टूडेंट्स को बारहवीं के बाद कोर्स चुनते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

देखिए, बारहवीं करियर निर्धारित करने का सबसे प्रमुख पडाव होता है, इसलिए इस दौरान निर्णय लेते समय सर्वाधिक सावधानी की जरूरत होती है। किसी भी तरह के कोर्स में प्रवेश लेने से पहले अपनी रुचि और क्षमता पर ध्यान देने के साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि आगे चलकर उसमें किस तरह का करियर स्कोप है? आप जिस करियर को अपनाने का सपना देख रहे हैं, क्या उस कोर्स से वह पूरा हो सकता है? लोगों में प्राय: यह धारणा होती है कि साइंस पढकर ही अच्छा करियर बनाया जा सकता है! यह बात कितनी सही है?

ऐसा नहीं है कि साइंस पढकर ही अच्छा करियर बनाया जा सकता है। आज आ‌र्ट्स में जितने करियर विकल्प हैं, उतने किसी भी फील्ड में नहीं हैं। ऐसे में अगर किसी स्टूडेंट की रुचि कला से संबंधित विषयों में है, तो उसे इससे संबंधित कोर्स करने में संकोच नहीं करना चाहिए।

बारहवीं के बाद एकेडमिक कोर्स करना चाहिए या प्रोफेशनल कोर्स?

यह बात हर स्टूडेंट पर अलग-अलग लागू होती है कि वह किस दिशा में करियर बनाने को इच्छुक है और उसमें किस तरह की योग्यता है? हां, बारहवीं के बाद यह जरूर देखना चाहिए कि हम जो पढ रहे हैं, वह हमें कहां ले जाएगा? क्या उस कोर्स की पढाई हमें एक बेहतर करियर के द्वार पर पहुंचा सकती है? ऐसा इसलिए, क्योंकि आगे चलकर आर्थिक आत्मनिर्भरता भी बहुत जरूरी होती है। कहने का आशय यह है कि जो कुछ आप पढें, ज्ञान और योग्यता बढने के साथ-साथ उसे जॉब पाने की दृष्टि से भी उपयोगी होना चाहिए।

मतलब, जॉब पाने के लिए स्टूडेंट्स को जॉब ओरिएंटेड कोर्स नहीं करना चाहिए?

देखिए, बेशक आज बारहवीं के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र के संस्थानों में बडी संख्या में जॉब ओरिएंटेड कोर्स उपलब्ध हैं, लेकिन इनका चुनाव स्टूडेंट्स की परिस्थिति और उसकी योग्यता के आधार पर ही करना उपयुक्त होगा। यदि कोई स्टूडेंट अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए जल्द से जल्द जॉब पाना चाहता है, तो बेशक उसके लिए जॉब ओरिएंटेड कोर्स करना ही उपयोगी होगा। लेकिन यदि कोई स्टूडेंट ज्ञान-पिपासु यानी उच्च शिक्षा पाना चाहता है, तो उसके लिए कतई जरूरी नहीं कि वह जॉब ओरिएंटेड कोर्स ही करे। ऐसा भी नहीं है कि उस उच्च शिक्षा से आगे चलकर उसे जॉब पाने में मुश्किल होगी।

 

दुनिया साइबर लॉ की

दुनिया साइबर लॉ कीसाइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट की चर्चा होते ही अंकित फाडिया का नाम सामने आ जाता है, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन के लोगों द्वारा भेजे गए एक ई-मेल को डिकोड करने में सफलता हासिल की थी। आए दिन साइट हैकिंग से लेकर ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड अथवा साइबर बुलिंग की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। यही है साइबर क्राइम और इन कामों को अंजाम देता है कम्प्यूटर तकनीक के जरिए एक हाइटेक अपराधी। इसे रोकने के लिए जरुरत होती है साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट की।

साइबर क्राइम

पूरी दुनिया में साइबर स्पेस का अपना कानून है, जिसका उपयोग इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों से निपटने के लिए किया जाता है। इंटरनेट के जरिए जब किसी को ईमेल या मैसेज आदि से परेशान किया जाए, तो उसे साइबर बुलिंग कहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पचास फीसदी अमेरिकी किशोर किसी न किस रूप में साइबर बुलिंग के शिकार हैं। मनोवैज्ञानिकों की मानें तो इसका असर किसी को मारने पीटने से भी ज्यादा भयावह होता है।

कोर्स

इस क्षेत्र में एक्सपर्ट बनने के लिए आपको पीजी डिप्लोमा, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स में से किसी एक कोर्स को करना जरूरी है। हालांकि कम संस्थानों में ही इसके लिए अलग से कोर्स उपलब्ध हैं। लेकिन अधिकतर संस्थानों में इससे संबंधित एक या दो सब्जेक्ट अवश्य पढाए जाते हैं। इस कोर्स के अंतर्गत साइबर लॉ और साइबर सिक्योरिटी से जुडी मूल बातें, नेटवर्क सुरक्षा, हमलों के प्रकार, नेटवर्क सिक्योरिटी के खतरे, हमले और खामियां, सुरक्षा संबंधी समाधान और उन्नत सुरक्षा प्रणाली आदि विशेष रूप से पढाए जाते हैं। इसके साथ ही संस्थान द्वारा विद्याíथयों के लिए एक डिजिटल लाइब्रेरी की भी व्यवस्था होती है, ताकि स्टूडेंट्स इससे जुडी अन्य जानकारी भी हासिल कर सकें।

योग्यता

साइबर लॉ कोर्स में प्रवेश पाने के लिए कैंडिडेट को कम से कम 12वीं या स्नातक होना आवश्यक है। पहले से लॉ या आईटी की डिग्री हासिल कर चुके स्टूडेंट्स इसे अलग से भी पढ सकते हैं।

अवसर

आजकल सबसे ज्यादा केस साइबर क्राइम जैसे कि ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉडऑनलाइन परचेजिंगऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग फ्रॉडक्रेडिट कार्ड फ्रॉडवेबसाइट बिगाडने आदि के दर्ज होते हैं। ऐसे में सरकारी, निजी, बैंकिंग सेक्टर, बीपीओआईबीआईटीशिक्षण-संस्थानों में इस तरह के क्राइम से निपटने के लिए साइबर लॉ एक्सप‌र्ट्स की जरूरत पडती है।

वेतन

तेजी से उभरते करियर के इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज भी बहुत आकर्षक होती है। आरंभिक स्तर पर 15 से 20  हजार रुपये प्रति माह तक मिल जाते हैं। यदि आप किसी कंपनी से न जुडकर फ्रीलांस काम करते हैं, तो एक्सप‌र्ट्स बनने के बाद मुंहमांगा वेतन मिल सकता है।