Sunday, September 21, 2025

हिंद युग्म उत्सव 2025 : रायपुर में सफल समापन

राजधानी रायपुर में 20 और 21 सितंबर को आयोजित हुआ हिंद युग्म उत्सव 2025 साहित्य और संस्कृति का ऐसा महोत्सव साबित हुआ, जिसने पाठकों, लेखकों और कलाकारों को एक ही मंच पर जोड़ दिया। दो दिनों तक पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में देशभर से आए करीब 100 लेखक-साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति से उत्सव को ऐतिहासिक बना दिया।



कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

1. साहित्यिक संवाद

·       नामचीन लेखकों और नए रचनाकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया।

·       राहगीर, फैजल मलिक (पंचायत फेम), नीलोत्पल मृणाल सहित कई चर्चित नामों ने अपनी मौजूदगी से कार्यक्रम को यादगार बनाया।

·       ओपन माइक "छत्तीसगढ़ : मंच खुला है" में 200 से अधिक नई प्रतिभाओं ने अपनी कविताएँ और कहानियाँ सुनाकर सबका मन मोह लिया।

2. विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित सत्र

·       इस उत्सव का केंद्र रहे महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल

·       उनके लेखन और जीवन पर आधारित विशेष डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया।

·       उन्हें हाल ही में मिली 30 लाख रुपये की रॉयल्टी को उत्सव के मंच से सम्मानपूर्वक उल्लेखित किया गया, जो हिंदी साहित्य की लोकप्रियता का प्रमाण है।

3. विविध आयोजन

·       कैंपस-कविता कार्यक्रम ने युवाओं की रचनात्मकता को सामने लाया।

·       स्टोरीटेलिंग और लाइव-सिंगिंग से श्रोताओं का मनोरंजन हुआ।

·       बच्चों और बड़ों के लिए टेराकोटा, पेंटिंग, हैंडीक्राफ्ट जैसी कार्यशालाओं का आयोजन हुआ।

·       संगीतमय शाम और स्टैंड-अप कॉमेडी ने साहित्यिक माहौल में हास्य और मनोरंजन का रंग भरा।

·       देशभर के बड़े प्रकाशकों की किताबों की प्रदर्शनियाँ और बिक्री ने पाठकों को नई किताबों से जोड़ने का अवसर दिया।

·       नई किताबों का लोकार्पण और कवर-रिलीज़ भी इस उत्सव की बड़ी विशेषता रही।

4. छत्तीसगढ़ की झलक

·       छत्तीसगढ़ की लोकनृत्य और लोकगायन की प्रस्तुतियाँ बेहद सराही गईं।

·       स्थानीय कलाकारों की पेंटिंग, मूर्तियाँ और क्राफ्ट की प्रदर्शनी ने संस्कृति का जीवंत रूप सामने रखा।

·       फ़ूड स्टॉल और हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट स्टॉल ने दर्शकों को छत्तीसगढ़ की असली खुशबू का अनुभव कराया।

विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित हिंद युग्म के 4थे सालाना उत्सव का सत्र ‘हिंदी साहित्य का शुक्ल पक्ष : छह महीनों में 30 लाख- हिंदी साहित्य में संभव हुआ असंभव’ अभी पूरा हुआ। इस सत्र में विनोद कुमार शुक्ल के 68 साल से मित्र और हमारे समय के महान कवि नरेश सक्सेना ने एक साहित्यकार को छह महीने में इतनी बड़ी रॉयल्टी मिलने को हिंदी साहित्य के इतिहास का सबसे बड़ा दिन बताया। यह रॉयल्टी इसलिए महत्वपूर्ण नहीं कि रक़म बड़ी है, बल्कि इसलिए कि यह असंभव का संभव होना है, क्योंकि यह आंकड़ा यह बताता है कि हिंदी साहित्य में किताब बिकने और पढ़ने का नंबर कितना बड़ा और बढ़ा है। इसी सिलसिले में नरेश सक्सेना ने हिंद युग्म को बधाई देते हुए कहा कि इसे हिंद युग्म प्रकाशन ही मुमकिन कर सका और यह कामयाबी विनोद कुमार शुक्ल ने हिंदी साहित्य को दी है। इस सत्र में विनोद कुमार शुक्ल को छह महीने की रॉयल्टी 30 लाख का चेक दिया गया। यह पल हम सबके लिए और हिंदी साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक पल साबित हुआ।

 



उत्सव की सफलता

दो दिनों तक चले इस साहित्यिक महाकुंभ ने यह साबित कर दिया कि हिंदी साहित्य की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।

·       दर्शकों की भारी भीड़ और साहित्यकारों का उत्साह इस उत्सव की सफलता का प्रमाण है।

·       न सिर्फ़ रायपुर, बल्कि आसपास के जिलों और राज्यों से भी साहित्यप्रेमी यहाँ पहुँचे।

·       यह आयोजन नए लेखकों और युवा प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणादायी मंच बना।

 

घुमंतू उत्सव की परंपरा

हिंद युग्म उत्सव देश का एकमात्र घुमंतू साहित्य उत्सव है।

·       इससे पहले इसके तीन संस्करण बाड़मेर, वाराणसी और भोपाल में आयोजित हुए थे।

·       रायपुर में आयोजित चौथा संस्करण सबसे बड़े और विविधतापूर्ण आयोजनों में गिना जाएगा।

·       यह आयोजन अभिकल्प फाउंडेशन एवं संज्ञा पीआर के संयुक्त तत्वावधान में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

4थे हिंद युग्म उत्सव के पहले दिन की इस कड़ी में हिमांशु गुप्ता की किताब ‘सहर’ का लोकार्पण।

कविताओं की नई किताब ‘एक अनाम पत्ती का स्मारक’ का लोकार्पण एवं उस पर चर्चा हुई। यह किताब नरेश सक्सेना की 14 सालों के बाद प्रकाशित हुई है। इस सत्र में महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल, लेखक रमेश अनुपम, स्वयं नरेश सक्सेना और हिंद युग्म के संपादक शैलेश भारतवासी मौजूद रहे।

 







निष्कर्ष

हिंद युग्म उत्सव 2025 रायपुर में भव्य और सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
यह केवल एक साहित्यिक कार्यक्रम नहीं बल्कि विचारों, संवादों, कला और संस्कृति का संगम था। दो दिनों तक चले इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ को साहित्यिक मानचित्र पर और मज़बूती से स्थापित किया है। आने वाले समय में यह उत्सव और भी बड़े पैमाने पर साहित्य और संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

  

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