भारत में कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और संस्कृति का महासंगम है। हर बारह साल में आने वाले इस महापर्व में करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर आत्मिक शांति की अनुभूति करते हैं। लेकिन सोचिए, जब कुंभ 2025 आपके दरवाजे पर हो और आप नौकरी की ज़ंजीरों में जकड़े रह जाएं—तो दिल पर क्या गुजरती होगी?
जब मन कहे 'हर हर गंगे' और बॉस कहे 'टारगेट पूरे करो'
कुंभ जाने का सपना देखने वालों के लिए ये एक अद्भुत अनुभव होता है। लेकिन जब बॉस कहता है, "डेडलाइन नजदीक है, छुट्टी लेना मुश्किल है," तो सारा उत्साह ठंडा पड़ जाता है। एक तरफ संगम में डुबकी लगाने का अद्भुत अवसर होता है, दूसरी तरफ ऑफिस के एक्सेल शीट और मीटिंग्स की बेड़ियां। ऐसे में नौकरीपेशा इंसान का मन कहता है—"काश! नौकरी के बगैर भी पेट भर जाता!"
घरवाले बुलाते रह गए, हम फंसे रह गए
परिवार वाले और दोस्त जब कुंभ जाने की तैयारियों में जुटे होते हैं, तब हम सिर्फ वॉट्सएप पर उनके मैसेज और फोटो देखकर दिल बहला रहे होते हैं। मां कहती है, "बेटा, इस बार कुंभ चले आओ, पता नहीं अगली बार मौका मिले या नहीं!" लेकिन हम बेबस होकर जवाब देते हैं, "मां, छुट्टी नहीं मिलेगी, अगले कुंभ में देखेंगे!" यह कहते हुए दिल में एक टीस उठती है कि क्या सच में अगला कुंभ देखने का मौका मिलेगा?
सोशल मीडिया की जलन
जब कुंभ मेला शुरू होता है, तो सोशल मीडिया श्रद्धालुओं की तस्वीरों और वीडियोज़ से भर जाता है। लोग संगम में डुबकी लगा रहे होते हैं, साधु-संतों की शोभायात्राएं निकल रही होती हैं, और हम? हम अपने लैपटॉप की स्क्रीन पर घूरते हुए बस सोचते हैं—"कहीं मैं जिंदगी में सिर्फ काम करने के लिए ही तो नहीं रह गया?"
क्या नौकरी के लिए सबकुछ छोड़ देना सही है?
हर नौकरीपेशा इंसान के दिमाग में यह सवाल जरूर आता है—"क्या वाकई में नौकरी के लिए हम अपने जीवन के सबसे खास अवसर छोड़ दें?" कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शुद्धि का मौका भी है। अगर हम जीवन के ऐसे पलों से खुद को वंचित रखते रहे, तो क्या पैसा कमाने की दौड़ कभी खत्म होगी?
तो फिर क्या करें?
छुट्टी पहले से प्लान करें: अगर कुंभ जाने का इरादा पक्का है, तो महीनों पहले छुट्टी की अर्जी डाल दें।
विकल्प तलाशें: कुछ दिन Work from Home या एडजस्टमेंट का ऑप्शन तलाशें।
सही प्राथमिकता तय करें: अगर नौकरी इतनी कठोर है कि आपको जरूरी आध्यात्मिक और पारिवारिक अवसरों से वंचित कर रही है, तो शायद यह सोचने का वक्त आ गया है कि क्या यही सही जगह है?
संक्षिप्त यात्रा करें: अगर लंबी छुट्टी नहीं मिल रही, तो वीकेंड या 1-2 दिन की संक्षिप्त यात्रा का प्लान बनाएं।
निष्कर्ष: नौकरी रहेगी, लेकिन कुंभ बार-बार नहीं आएगा
नौकरी की ज़िम्मेदारियां हमेशा रहेंगी, लेकिन कुंभ 2025 के बाद अगला अवसर 2037 में मिलेगा। कौन जानता है तब तक हमारी परिस्थितियां क्या होंगी? इसलिए अगर मन में कुंभ जाने की इच्छा है, तो नौकरी के डर को एक तरफ रखकर इस मौके को हाथ से मत जाने दो। क्योंकि "सैलरी फिर मिल जाएगी, लेकिन गंगा की इस पावन डुबकी का सौभाग्य दोबारा नहीं!"
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