गा सकूं आपका नगमा वो साज कहां से लाऊं,
सुना सकूं कुछ आपको वो अंदाज कहां से लाऊं,
यूं तो चांद-तारों की तारीफ करना आसान है,
कर सकूं आपकी तारीफ वो अलफाज कहां से लाऊं।
सुना सकूं कुछ आपको वो अंदाज कहां से लाऊं,
यूं तो चांद-तारों की तारीफ करना आसान है,
कर सकूं आपकी तारीफ वो अलफाज कहां से लाऊं।
फिर से रूठ जाने को दिल चाहता है
उससे रोज मिलने को दिल चाहता है,
कुछ सुनने और सुनाने को दिल चाहता है,
था किसी के मनाने का अंदाज ऐसा कि,
फिर से रूठ जाने को दिल चाहता है।
चांद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे
चांद निकलेगा तो दुआ मांगेंगे,
अपने हिस्से में मुकद्दर का लिखा मांगेंगे,
हम तलबगार नहीं दुनिया और दौलत के,
हम रब से सिर्फ आपकी दुआ मांगेंगे।
4 comments:
तुमसे पूछूँगा कि ऐसी बातें क्यों कर कैसे कहते हो?
कुछ कह न पाओगे, क्या आँखों से भी न बताओगे !
स्वागत है।
swagat hai
dil se likhi hai. narayan narayan
aage bhi badhen
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