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Tuesday, July 28, 2009

मन में विश्वास है, तो मिलेगी मंजिल

इसमें दो राय नहीं कि इच्छाशक्ति ही सफलता का स्वाद चखाती है। किसी भी कार्य

आप किसी चीज को जितने दिल से पाना चाहेंगे, उसे पाने के लिए उतनी ही लगन से काम करेंगे।

दसवीं क्लास तक आते-आते खुद स्टूडंट को भी यह स्पष्ट होने लगता है कि उसे किस फील्ड में करियर बनाना है। इस मंजिल को ही पहला और आखिरी लक्ष्य समझना चाहिए। भटकाव से कुछ हासिल नहीं होगा। सबसे पहले अपना लक्ष्य निर्धारित कीजिए। इसके बाद उसे पाने के जितने भी रास्ते हैं, उन सब पर विचार करें। अंत में एक उचित योजना के तहत कार्य आरंभ करें। विशेषज्ञों के अनुसार, इच्छा शक्ति को बनाए रखना सफलता का सबसे बड़ा मंत्र है।

योजना बनाएं
यह सच है कि अगर सही वक्त पर उचित निर्णय नहीं लिया जाए, तो हाथ आए मौके भी निकल जाते हैं। कभी -कभी तो मंजिल आंखों के सामने होते हुए भी गायब हो जाती है। अगर इन सभी से बचना है और लक्ष्य को पूरी तरह प्राप्त करना चाहते हैं, तो योजना बनाकर ही कार्य करें। सबसे पहले तो यह निर्णय करना अहम है कि कौन-सा करियर सही होगा। इसके लिए खुद की तैयारी के साथ, आर्थिक स्थिति और भविष्य में उसकी मांग को भी ध्यान में रखना जरूरी है।

प्यास जगाएं
आप परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या जॉब सर्च। सफलता की प्यास को हमेशा बनाए रखें। संभव है कि पूरी सफलता मिलने में कुछ वक्त लग जाए, इससे घबराएं नहीं। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि प्यास को बरकरार रखें। ऐसा हो कि बार-बार की विफलता से हमारी प्यास मरने लगे और हम अपनी हार को ही किस्मत का लिखा मानकर स्वीकार कर लें। यह बिल्कुल गलत है। आखिर, कोई व्यक्ति हमेशा सफल नहीं हो सकता। इसका अर्थ यह नहीं है कि हार को ही मंजिल समझ लें।

जीत के बारे में सोचें
कुछ लोग दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या करते हैं और उन्हें पराजित करने के ही विषय में सोचते हैं, जबकि कई लोगों को दूसरों से मतलब नहीं होता और वे केवल अपनी जीत के बारे में ही सोचते हैं। दूसरों को हराने के बारे में सोचने वाले लोग खुद को मजबूत नहीं करते, वे केवल दूसरों की खामियों को ही ढूंढते रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि हम जिसे हराना चाहते हैं, वह आगे निकल जाता है। ऐसे हालात आएं, इसके लिए जरूरी है कि खुद को मजबूत करें।

 

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