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Wednesday, July 1, 2009

रहें अपडेट, बनें परफेक्ट

रहें अपडेट, बनें परफेक्टबारहवीं के बाद करियर की अनेक राहें खुलती हैं। इनमें तत्काल जॉब दिलाने वाले प्रोफेशनल कोर्स भी हैं और उच्च शिक्षा से संबंधित एकेडमिक कोर्स भी। आज छात्र ऐसे प्रोफेशनल कोर्सों को अधिक प्राथमिकता देते हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद उन्हें आसानी से नौकरी मिल सके। ऐसे कोर्सों में आईटी से संबंधित कोर्स सदाबहार हैं। बारहवीं के बाद ही ऐसे कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें दक्षता हासिल कर बेहतर करियर के द्वार खोले जा सकते हैं। द नेशनल असोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विसेज कंपनीज यानी नैस्कॉम और मैकिन्जे के मुताबिक, भारतीय सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री आज भी करीब 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से आगे बढ रही है। अध्ययन के मुताबिक, आईटी सेक्टर के विकास की यह रफ्तार अगले पांच साल तक इसी तरह बने रहने की उम्मीद है। अनुमान है कि वर्ष 2010 तक आईटी सेक्टर से देश को करीब 60 करोड डॉलर की आमदनी हो सकती है।

चाहिए 23 लाख स्किल्ड मैन पॉवर

वर्तमान में देश की आईटी इंडस्ट्री के पास पर्याप्त संख्या में एक्सप‌र्ट्स नहीं हैं। देश में आईटी सेवाएं देने वाली सबसे बडी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी टीसीएस के सीईओ एस रामादोरई का कहना है, इस सेक्टर में प्रशिक्षित लोगों की डिमांड बहुत ज्यादा है, जबकि सप्लाई इसकी तुलना में काफी कम है। जगह-जगह सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर ट्रेनिंग सेंटर तथा कॉलेज खुलने के बावजूद मांग पूरी नहीं हो पा रही है। मैकिन्जे के मुखिया नौशिर काका तथ्यों के आधार पर बताते हैं कि आईटी इंडस्ट्री की वर्तमान प्रगति को देखते हुए भारत को वर्ष 2010 तक करीब 23 लाख आईटी एवं बीपीओ एक्सप‌र्ट्स की जरूरत होगी। लेकिन देश में जिस गति से इस सेक्टर के लिए प्रशिक्षित लोग तैयार हो रहे हैं, उसमें लाख लोगों की कमी फिर भी बनी रह सकती है। इन आंकडों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यदि युवा अपनी रुचि के अनुसार कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर-नेटवर्किंग से जुडा कोई भी कोर्स कर लेते हैं, तो फायदे में रहेंगे।

12 वीं के बाद एंट्री

यह कहना ठीक नहीं होगा कि आईटी सेक्टर में केवल उच्च योग्यता (जैसे-आईटी या सीएस में बीटेकबीसीए या एमसीए आदि) वाले लोगों की ही जरूरत होती है। इस सेक्टर में 12 वीं के बाद भी डेढ से दो साल का जॉब-ओरिएंटेड कोर्स (खासकर हार्डवेयर-नेटवर्किंग से संबंधित) करके प्रवेश पाया जा सकता है। इस तरह के कोर्स आपके आस-पास यानी अपने शहर में ही उपलब्ध हैं।

काम हैं तो कोर्स भी हैं

आईटी व‌र्ल्ड में तमाम तरह के काम हैं। इन सभी कामों में खूब पैसा भी मिल रहा है। यही कारण है कि युवाओं के बीच इनसे संबंधित कोर्सों का जबर्दस्त क्रेज है। इस समय, जबकि बारहवीं की परीक्षाएं समाप्त हो गई हैं, छात्रों के सामने अभी से आईटी व‌र्ल्ड में प्रवेश करने का बेहतर अवसर है। आईटी व‌र्ल्ड के किन-किन प्रमुख क्षेत्रों में स्किल्ड मैन पॉवर की जरूरत है, आइए देखते हैं एक नजर सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट : दुनिया का कोई भी कम्प्यूटर विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर्स की मदद से ही चलता है। सॉफ्टवेयर बनाने और डेवलॅप करने का कार्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और प्रोग्रामर्स करते हैं। इनका प्रमुख कार्य विभिन्न लैंग्वेजेज में सॉफ्टवेयर डेवलॅप करना होता है। दरअसल, सॉफ्टवेयर दो तरह के होते हैं-ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर। इनकी मदद से कई तरह के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तैयार किए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल दुनिया भर की तमाम कंपनियां करती हैं। सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट के लिए नॉलेज को हर समय अपडेट करते रहना जरूरी है। इसके अलावा, प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेजजैसे-सी, सी++,जावा, विजुअॅल बेसिक आदि में भी विशेषज्ञता हासिल करनी होती है।

सिस्टम एनालिस्ट : 

सिस्टम एनालिस्ट कम्प्यूटर डेवलॅप करने की योजना बनाते हैं। यदि आप सिस्टम एनालिस्ट के रूप में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको हर तरह के सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर की जानकारी रखनी होगी और इसे नियमित रूप से अपडेट भी करते रहना होगा। सिस्टम एनालिस्ट ग्राहकों की बिजनेस जरूरतों को समझते हुए सिस्टम तैयार करने में कुशल होते हैं।

सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर : 

सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर का मुख्य काम कनेक्टिविटी और इंटरनेट की सुविधा प्रदान करना है। आईटी सेक्टर में नेटवर्किंग काफी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम (लैन, वैन या मैन) से कम्प्यूटर एक-दूसरे से जुडे होते हैं और एक कम्प्यूटर का डाटा सर्वर के माध्यम से दूसरे कम्प्यूटर में देखा और ट्रांसफर किया जा सकता है। बैंकों के एटीएमरेलवे रिजर्वेशन, न्यूज पेपर, इंटरनेट आदि की सुविधा नेटवर्किंग की बदौलत ही मिल पाती है। यही कारण है कि आज हर छोटे-बडे संस्थान में कम्प्यूटर नेटवर्किंग के लिए सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की जरूरत होती है। हालांकि, इस फील्ड में काम करने वालों को सिस्टम सिक्योरिटी के साथ-साथ नेटवर्किंग सिक्योरिटी का भी ध्यान रखना होता है। इसके अलावा, आप इस फील्ड में कैड स्पेशलिस्ट, सिस्टम आर्किटेक्टविजुअॅल डिजाइनर, एचटीएमएल प्रोग्रामरडोमेन स्पेशलिस्ट, इंफॉर्मेशन सिक्युरिटी एक्सपर्ट, इंटीग्रेशन स्पेशलिस्ट, कम्युनिकेशन इंजीनियर, सेमीकंडक्टर स्पेशलिस्ट आदि के रूप में भी काम कर सकते हैं।

डाटा बेस :  डाटा बेस के अंतर्गत डाटा को इस प्रकार स्टोर किया जाता है, ताकि जरूरत पडने पर इसे आसानी से इस्तेमाल एवं अपडेट किया जा सके। किसी भी कंपनी के लिए उसका डाटा काफी महत्वपूर्ण होता है। इसे देखते हुए डाटा बेस प्रोफेशनल्स की मांग भी बहुत ज्यादा है। यही वजह है कि आज लगभग हर छोटी-बडी कंपनी में डाटा मेंटेन करने और उसे अपडेट करने का काम लगातार किया जाता है।

हार्डवेयर : 

कम्प्यूटर के लिए जितना जरूरी सॉफ्टवेयर है, उतना ही जरूरी हार्डवेयर भी है। हार्डवेयर का मतलब होता है कम्प्यूटर की सारी मशीनरी। इसमें सीपीयूमदरबोर्डहार्डडिस्क से लेकर अन्य सभी चीजें आ जाती हैं। किसी कम्प्यूटर में जब ये सभी चीजें होंगी, तभी उसमें सॉफ्टवेयर लोड हो पाएगा। हार्डवेयर इंजीनियरिंग का काम करने वालों पर कम्प्यूटर असेंबल करने से लेकर उसके खराब पुर्जों को ठीक करने या बदलने तक की जिम्मेदारी होती है। घर हो या ऑफिस आज कंप्यूटर के कारण हार्डवेयर प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ गई है, जो कम्प्यूटरों को चुस्त-दुरुस्त रखने में माहिर हों। हार्डवेयर क्षेत्र से जुडने के बाद कम्प्यूटर मैन्युफैक्चरिंगरिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट आदि के क्षेत्र में भी काम करने के भरपूर अवसर मिलते हैं।

कौन-सा करें कोर्स?

आप अपनी योग्यता, रुचि, क्षमता और जरूरत के मुताबिक सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर में कोई भी फील्ड चुन सकते हैं। लेकिन यदि आप सॉफ्टवेयर का फील्ड चुनते हैं, तो आपको इसमें उच्च योग्यता हासिल करनी होगी, जबकि हार्डवेयर का क्षेत्र चुनने पर आप महज डेढ-दो साल की क्लास और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग लेकर जॉब मार्केट में एंट्री पा सकते हैं। दोनों क्षेत्रों से जुडे कोर्सों का विवरण इस प्रकार है : ग्रेजुएट लेवॅल कोर्स :  इस लेवॅल पर प्रमुख कोर्स इस प्रकार हैं-बीटेक, बीसीएबीएससी आदि। बीटेक (आईटी, सीएस आदि) चार वर्षीय कोर्स है, जो आईआईटी तथा अन्य इंजीनियंरिंग कॉलेजों में चलाया जाता है। इसमें बारहवीं (पीसीएम) के बाद एंट्रेंस एग्जामजैसे-आईआईटीजेईई, एआईईईई आदि के माध्यम से प्रवेश मिलता है। इसके अलावा, बैचलर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन यानी बीसीए और बीएससी (आईटी या कम्प्यूटर सांइस) तीन वर्षीय कोर्स हैं और कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि इन सभी कोर्सों को करते समय अंतिम वर्ष में ही कैम्पस सिलेक्शन के माध्यम से अधिकांश कंपनियां छात्रों का चयन कर लेती हैं और उन्हें अपनी कंपनी के माहौल के अनुसार कुछ समय की ट्रेनिंग देती हैं। कैम्पस सिलेक्शन के दौरान कंपनियां कम से कम साढे तीन लाख रुपये प्रतिवर्ष का पैकेज ऑफर करती हैं।

पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स :  इसमें एमटेक और एमसीए का फुलटाइम कोर्स होता है। यह कोर्स इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुसार आईटी एक्सप‌र्ट्स तैयार करते हैं। इसके अंतर्गत कम्प्यूटर संबंधी अवधारणाओं और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर की बारीकियां बताई जाती हैं। एमसीए प्रोग्राम में सी, सी++, जावा लैंग्वेजटेक्निकल टॉपिक्सजैसे-कम्प्यूटर डिजाइन, थ्योरी ऑफ कम्प्यूटिंगआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्राफिक्सएनिमेशन आदि पढाया जाता है। छात्रों को एक बात का खास खयाल रखना चाहिए कि बीसीए या एमसीए उसी संस्थान से करें, जिसे ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी एआईसीटीई से मान्यता हासिल हो। इस तरह का कोर्स करने के बाद आपको 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिल सकती है।

अन्य हायर कोर्स :  यदि आप कम्प्यूटर ट्रेनिंग या टीचिंग क्षेत्र से जुडना चाहते हैं, तो आईटी या कम्प्यूटर साइंस में एमफिल-पीएचडी भी कर सकते हैं। इसके अलावा, आईटी सेक्टर में रिसर्च का भी बडा महत्व है। बडी सॉफ्टवेयर कंपनियां उन्नत टेक्नोलॉजी के लिए हर समय रिसर्च करती रहती हैं। इसके लिए उन्हें उच्च दक्षता प्राप्त लोगों की जरूरत होती है।

हार्डवेयर-नेटवर्किंग कोर्स :  आजकल हर छोटे-बडे ऑफिस में कम्प्यूटर की अनिवार्यता को देखते हुए हार्डवेयर-नेटवर्किंग एक्सप‌र्ट्स की डिमांड तेजी से बढ रही है। यह कोर्स सरकारी और निजी संस्थानों में सुलभ है। इस तरह के कोर्सों में कम्प्यूटर असेंबल करने, रिपेयर करने एवं खराब उपकरणों को बदलने या उन्हें ठीक करने की ट्रेनिंग दी जाती है। पहले कार्ड लेवॅल की ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब उन्नत तकनीक पर आधारित चिप लेवॅल की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। इस तकनीक की खासियत यह है कि कार्ड लेवॅल में जहां खराब पुर्जों को बदल दिया जाता था, वहीं चिप लेवॅल में ऐसे खराब पुर्जों को ठीक करके उन्हें पुन: लगा दिया जाता है। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है। इसलिए यह कोर्स करने के लिए जिस भी संस्थान में जायें, यह जरूर जान लें कि वहां पुरानी कार्ड लेवॅल तकनीक सिखाई जा रही है या फिर चिप लेवॅलक्योंकि आजकल सभी कंपनियां चिप लेवॅल हार्डवेयर इंजीनियरों की डिमांड कर रही हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आईटी सेक्टर में थोडे-थोडे समय बाद ही नई तकनीक आ जाती है, जिससे पुरानी तकनीक चलन से गायब हो जाती है। ऐसी स्थिति में जहां सैन, नैस, डैस, डी2डी, डाटा प्रोटेक्टर जैसी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित ट्रेनिंग दी जाती हो, वहीं से कोर्स करें। कम्प्यूटर बनाने वाली कंपनियां (जैसे एचसीएल, डेलएपल आदि) हार्डवेयर इंजीनियरों की नियमित रूप से भर्ती करती हैं। इसके अलावा, सभी बडे संस्थानों में सिस्टम डिपार्टमेंट के तहत कम से 25 से 100 हार्डवेयर व नेटवर्किंग एक्सप‌र्ट्स के इंजीनियरों को रखा जाता है। इनकी सैलॅरी 10 हजार से 40 हजार रुपये मासिक होती है।

 

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