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Monday, July 20, 2009

अगर बढ़ेगी दिल की दूरी

अगर बढ़ेगी दिल की दूरी घर में घर बन जाएँगे
आँगन में
भी आँगन होगा दर में दर बन जाएँगे

प्यार-मुहब्बत है तो दुनिया इस धरती पे जन्नत है
प्यार
नहीं तो गुलशन के गुंचे ख़ंजर बन जाएँगे

पर्वत, खाई, राह में रोड़े हैं तो कोई बात नहीं
देखके
हमको राह के रोड़े भी रहबर बन जाएँगे

आग उगलता है यह सूरज चाँद मगर मुस्काता है
हम
भी जब मुस्कायेंगे तो घर मंदर बन जाएँगे

इस दुनिया में जहाँ कहीं लिक्खे जाएँगे अफ़साने
हम भी
उन सारे अफ़सानों के अक्षर बन जाएँगे

आए हैं हम दूर से चलके 'घायल' आपकी महफ़िल में
दिलवालों
की इस महफ़िल में हम दिलबर बन जाएँगे

 

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