हिंदी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश
हिंदी
साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के अंतर्गत कार्यरत
एक महत्वपूर्ण संस्था है, जिसकी स्थापना
1954 में हुई थी। इसका
मुख्यालय भोपाल में स्थित है।
इस अकादमी का उद्देश्य हिंदी
साहित्य और संस्कृति को
प्रोत्साहित करना और साहित्यकारों
को सम्मानित करना है।
अकादमी
द्वारा विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया
जाता है, जिसमें कवि
सम्मेलन, साहित्यिक गोष्ठियाँ, और व्याख्यान शामिल
हैं। इसके अलावा, अकादमी
द्वारा विभिन्न पुरस्कार योजनाएँ भी चलाई जाती
हैं, जिनमें अखिल भारतीय और
प्रादेशिक पुरस्कार शामिल हैं। ये पुरस्कार
हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं
में उत्कृष्ट कृतियों के लिए प्रदान
किए जाते हैं।
आज
के कवि
आज के कवि हिंदी
साहित्य में एक महत्वपूर्ण
स्थान रखते हैं। वे
अपनी कविताओं के माध्यम से
समाज की समस्याओं, भावनाओं
और विचारों को व्यक्त करते
हैं। वर्तमान समय में कई
कवि अपनी अनूठी शैली
और विषयवस्तु के कारण प्रसिद्ध
हो रहे हैं।
कुछ
प्रमुख समकालीन कवियों में राजीव खरे, डाॅ. अमोल बटरोही, अमित कुमार झा, ओम प्रकाश लववंशी 'संगम', कुमार विश्वास, अशोक वाजपेयी, अंजना संधीर, गुलजार, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, विजय कुमार, अलोक धन्वा, अरुण कमल, कुँवर नारायण, और केदारनाथ सिंह शामिल हैं
ये कवि अपनी
रचनाओं में समाज के
विभिन्न पहलुओं को उजागर करते
हैं और पाठकों को
सोचने पर मजबूर करते
हैं।
कवियों
की रचनाएँ
यहाँ
कुछ समकालीन कवियों की प्रमुख रचनाओं
का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
- कुमार विश्वास -
"कोई दीवाना कहता है" और "फिर मेरी याद" जैसी कविताएँ।
- गुलजार -
"रात चाँद और मैं" और "चाँद पुखराज का"।
- मंगलेश डबराल - "हम जो देखते हैं" और "घर का रास्ता"।
- राजेश जोशी - "समरगाथा" और "दो पंक्तियों के बीच"।
- अरुण कमल - "नए इलाके में" और "पानी में घिरे हुए लोग"।
- अशोक वाजपेयी -
"तुम्हारे बिना" और "कहीं नहीं वहीं"।
- अलोक धन्वा - "भागी हुई लड़कियाँ" और "ब्रूनो की बेटियाँ"।
- कुँवर नारायण -
"आत्मजयी"
और "वाजश्रवा के बहाने"।
- केदारनाथ सिंह - "अकाल में सारस" और "बाघ"।
समकालीन
हिंदी कविता का परिचय
समकालीन
हिंदी कविता का आरंभ 1960 के
दशक से माना जाता
है। इस समय की
कविता ने समाज की
वास्तविकताओं, राजनीतिक परिवर्तनों, और सांस्कृतिक बदलावों
को अपने में समाहित
किया। यह कविता मानवीय
संवेदनाओं, करुणा, दया, और अहिंसा
जैसे मूल्यों को प्रमुखता देती
है
प्रमुख
समकालीन कवि
- मुक्तिबोध - उनकी कविताएँ जैसे "अंधेरे में" और "चाँद का मुँह टेढ़ा है" समाज की गहरी समझ और आलोचना प्रस्तुत करती हैं।
- नागार्जुन -
"बादल को घिरते देखा है" और "हरिजन गाथा" जैसी कविताएँ उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- शमशेर बहादुर सिंह - "चुका भी हूँ नहीं मैं" और "काल तुझसे होड़ है मेरी" उनकी प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
- अज्ञेय -
"हरी घास पर क्षण भर" और "नदी के द्वीप" उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- कुँवर नारायण -
"आत्मजयी"
और "वाजश्रवा के बहाने" उनकी प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
- केदारनाथ सिंह - "अकाल में सारस" और "बाघ" उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- मंगलेश डबराल - "हम जो देखते हैं" और "घर का रास्ता" उनकी प्रमुख कविताएँ हैं।
- राजेश जोशी - "समरगाथा" और "दो पंक्तियों के बीच" उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
- अरुण कमल - "नए इलाके में" और "पानी में घिरे हुए लोग" उनकी प्रमुख कविताएँ हैं।
- अशोक वाजपेयी -
"तुम्हारे बिना" और "कहीं नहीं वहीं" उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- अलोक धन्वा - "भागी हुई लड़कियाँ" और "ब्रूनो की बेटियाँ" उनकी प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
- गुलजार -
"रात चाँद और मैं" और "चाँद पुखराज का" उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
- कुमार विश्वास -
"कोई दीवाना कहता है" और "फिर मेरी याद" उनकी प्रसिद्ध कविताएँ हैं।
- अंजना संधीर - "तुम्हारी याद" और "सपनों की उड़ान" उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं
समकालीन
कविता की विशेषताएँ
समकालीन
हिंदी कविता की विशेषताएँ इस
प्रकार हैं:
- मानवीय संवेदनाएँ: करुणा, दया, और अहिंसा जैसे मानवीय मूल्यों पर जोर।
- सामाजिक यथार्थ: समाज की वास्तविकताओं और समस्याओं का चित्रण।
- राजनीतिक चेतना: राजनीतिक परिवर्तनों और घटनाओं का प्रभाव।
- सांस्कृतिक बदलाव: सांस्कृतिक परिवर्तनों और नई सोच का समावेश।
- प्राकृतिक सौंदर्य: प्रकृति के विभिन्न रूपों का वर्णन।
समकालीन
कविता का प्रभाव
समकालीन
हिंदी कविता ने साहित्यिक और
सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों में
गहरा प्रभाव डाला है। यहाँ
कुछ प्रमुख प्रभावों का विवरण दिया
गया है:
साहित्यिक
प्रभाव
- विषयवस्तु की विविधता: समकालीन कविता ने विषयवस्तु की विविधता को बढ़ावा दिया है। इसमें सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है
- भाषा और शैली में नवाचार: समकालीन कवियों ने भाषा और शैली में नए प्रयोग किए हैं। उन्होंने पारंपरिक छंदों और अलंकारों से हटकर सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया है
नए
कवियों का उदय: समकालीन कविता ने नए कवियों
को मंच प्रदान किया
है। इससे हिंदी साहित्य
में नई पीढ़ी के
कवियों का उदय हुआ
है, जिन्होंने अपनी अनूठी शैली
और दृष्टिकोण से साहित्य को
समृद्ध किया है
सामाजिक
प्रभाव
- सामाजिक जागरूकता: समकालीन कविता ने समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया है। कविताओं के माध्यम से समाज की समस्याओं, असमानताओं, और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई गई है
- राजनीतिक चेतना: समकालीन कवियों ने राजनीतिक मुद्दों पर भी अपनी कविताओं के माध्यम से विचार व्यक्त किए हैं। इससे समाज में राजनीतिक चेतना का विकास हुआ है
- सांस्कृतिक परिवर्तन: समकालीन कविता ने सांस्कृतिक परिवर्तन को भी प्रोत्साहित किया है। कविताओं में पारंपरिक और आधुनिक मूल्यों का समावेश किया गया है, जिससे समाज में सांस्कृतिक संतुलन बना है
प्रमुख
कवियों का योगदान
समकालीन
कवियों ने अपनी रचनाओं
के माध्यम से समाज और
साहित्य दोनों में महत्वपूर्ण योगदान
दिया है। कुछ प्रमुख
कवियों में मुक्तिबोध, नागार्जुन, शमशेर बहादुर सिंह, अज्ञेय, कुँवर नारायण, केदारनाथ सिंह, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, अरुण कमल, अशोक वाजपेयी, अलोक धन्वा, गुलजार, कुमार विश्वास, और अंजना संधीर शामिल हैं
समकालीन
हिंदी कविता ने साहित्यिक और
सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों में
महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इसने
न केवल साहित्य को
समृद्ध किया है, बल्कि
समाज में जागरूकता और
परिवर्तन को भी प्रोत्साहित
किया है।
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