धरती से अम्बर तक जिनकी गूंज है,
हर दिल में जिनकी वीरता की धुन है।
सीमा पर जो बनते हैं दीवार,
वो हैं हमारे सैनिक — देश के पहरेदार।
बर्फ़ीली चोटियों पर जिनकी साँसें चलती हैं,
रेगिस्तान की तपिश में भी जो जलते नहीं।
हर मौसम, हर हाल में जो डटे रहते हैं,
वो हैं भारतीय सेना, जो कभी न थकते हैं।
ना कोई शिकवा, ना कोई गिला,
बस मातृभूमि के लिए जीना और मरना ही विला।
हर तिरंगे की लहर में उनका लहू बहता है,
हर विजय पर्व पर उनका नाम ही कहता है।
जब हम चैन की नींद सोते हैं रातों में,
वो जागते हैं बंदूक लिए बरसातों में।
हर गोली, हर बम से वो खेलते हैं,
पर देश की रक्षा से कभी न डगमगाते हैं।
माँ की ममता, बहन की राखी,
पत्नी की प्रीत, बच्चे की प्यारी बाती।
सब कुछ छोड़, वो वतन को अपनाते हैं,
हर त्याग से वो भारत माँ को सजाते हैं।
चलो सलाम करें उन वीरों को बार-बार,
जिनके कारण है ये जीवन त्यौहार।
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