Tuesday, May 27, 2025

"मौसम के रंग" (छत्तीसगढ़ी में)

बरसात आय, बदरी छागे,
धरती मुस्काय, हरियर लागे।
पानी के बूँद नाचे गावे,
मन के भीतर ठंडक लावे।

घाम के दिन, गरमी के लहर,
पसीना-पसीना होथे सहर।
फिर आय जाड़ा, कुहासा घेर,
अंगना अलाव, चुल्हा फेर।

बसंती बयार, फुल के बहार,
कोयल के गीत, मन के उपहार।
मौसम बदलय, संग ले रंग,
छत्तीसगढ़ , हर दिन संग।

  

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