आज की दुनिया में जब जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट जैसे मुद्दे सामने हैं, ऐसे में एक नई तकनीक ने सबका ध्यान खींचा है — Agrivoltaics। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: Agriculture (कृषि) और Photovoltaics (सौर ऊर्जा उत्पादन)।
🌱 Agrivoltaics क्या है?
Agrivoltaics एक
ऐसी प्रणाली है जिसमें सोलर
पैनल्स को खेतों में इस तरह लगाया जाता है कि वे बिजली भी पैदा करें और नीचे फसलें भी उगाई जा सकें। इसका उद्देश्य
है — भूमि का दोहरा उपयोग।
🔍 कैसे काम करता है Agrivoltaics?
- सोलर पैनल्स को ज़मीन से कुछ ऊँचाई पर लगाया जाता है।
- इनके नीचे छाया में फसलें उगाई जाती हैं जो कम धूप में भी अच्छी तरह बढ़ सकती हैं।
- पैनल्स बारिश के पानी को इकट्ठा करने में भी मदद करते हैं, जिससे सिंचाई में सहूलियत होती है।
🌾 इसके क्या फायदे हैं?
- भूमि का अधिकतम उपयोग
एक ही ज़मीन पर बिजली और फसल दोनों का उत्पादन। - पानी की बचत
पैनल्स की छाया से मिट्टी में नमी बनी रहती है। - फसल की सुरक्षा
तेज़ धूप, ओलावृष्टि और भारी बारिश से फसल को सुरक्षा मिलती है। - अतिरिक्त आय का स्रोत
किसान बिजली बेचकर अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं। - ग्रीनहाउस गैसों में कमी
यह प्रणाली टिकाऊ ऊर्जा को बढ़ावा देती है।
🌍 भारत में Agrivoltaics की स्थिति
भारत
जैसे कृषि प्रधान देश
में Agrivoltaics एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
कई राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट्स
शुरू हो चुके हैं,
जैसे कि:
- गुजरात का "सौर कृषि योजना"
- राजस्थान और महाराष्ट्र में सोलर फार्मिंग प्रोजेक्ट्स
🔮 भविष्य की संभावनाएँ
- AI
और IoT के साथ मिलकर Agrivoltaics और भी स्मार्ट बन सकता है।
- स्मार्ट सिंचाई, फसल निगरानी, और ऊर्जा प्रबंधन को एकीकृत किया जा सकता है।
🌍 Agrivoltaics के प्रमुख उदाहरण
🇮🇳 भारत में Agrivoltaics के उदाहरण
- पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पायलट प्रोजेक्ट्स
इन राज्यों में 2024 तक 22 से अधिक Agrivoltaics प्रोजेक्ट्स शुरू हो चुके हैं। यहाँ सोलर पैनल्स को बागवानी फसलों (जैसे टमाटर, मिर्च, फूलगोभी) के साथ जोड़ा गया है, जिससे फसल की उत्पादकता और ऊर्जा उत्पादन दोनों में वृद्धि हुई है - गुजरात की "सौर कृषि योजना"
इस योजना के तहत किसानों को सोलर पंप और पैनल्स लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है, जिससे वे अपनी ज़रूरत की बिजली खुद बना सकते हैं और अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेच सकते हैं। - महाराष्ट्र का बारामती प्रोजेक्ट
यहाँ अंगूर की बेलों के ऊपर सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिससे बेलों को छाया मिलती है और बिजली का उत्पादन भी होता है। - कर्नाटक में IISC और GKVK का संयुक्त प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट शोध पर केंद्रित है, जहाँ विभिन्न फसलों पर Agrivoltaics के प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है।
🌐 वैश्विक उदाहरण
- जर्मनी – Fraunhofer
Institute का
Agri-PV प्रोजेक्ट
यहाँ गेहूं, आलू और अन्य फसलों के साथ सोलर पैनल्स लगाए गए हैं। शोध से पता चला कि कुछ फसलें छाया में बेहतर उत्पादन देती हैं। - जापान – "Solar
Sharing" मॉडल
जापान में छोटे खेतों में सोलर पैनल्स को ऊँचाई पर लगाया जाता है ताकि नीचे चाय, चावल और सब्जियाँ उगाई जा सकें। - फ्रांस – Sun’Agri प्रोजेक्ट
यह एक स्मार्ट Agrivoltaics सिस्टम है जिसमें सोलर पैनल्स फसलों की ज़रूरत के अनुसार अपनी दिशा और झुकाव बदल सकते हैं। - अमेरिका – University of
Arizona का
शोध
यहाँ टमाटर और मिर्च जैसी फसलों पर Agrivoltaics के प्रभाव का अध्ययन किया गया, जिससे पानी की बचत और उत्पादन में वृद्धि देखी गई।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है
कि Agrivoltaics न केवल ऊर्जा
और कृषि के बीच संतुलन बनाता है, बल्कि यह स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित भी किया जा
सकता है।
✨ निष्कर्ष
Agrivoltaics सिर्फ
एक तकनीक नहीं, बल्कि एक हरित क्रांति है जो किसानों
को आत्मनिर्भर बना सकती है
और पर्यावरण को भी सुरक्षित
रख सकती है। यह
समय है कि हम
इस नवाचार को अपनाएँ और "हर खेत में बिजली और हर घर में रौशनी" का सपना साकार
करें।
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