लक्षण
तेज गर्मी का अहसास और बेचैनी।
ना़ड़ी की गति अधिक ब़ढ़ जाने के कारण शरीर का तापमान 101 से 104 डिग्री तक पहुँच जाना।
बार-बार प्यास लगना।
अधिक तापमान के कारण बेहोशी छाना।
चेहरा लाल, सिर दर्द, जी मचलाना और उल्टियाँ होना।
प्राथमिक उपचार
रोगी के शरीर को ठंडा करें। बर्फ की पट्टियाँ रखें और यदि मरीज होश में है तो तापमान कम करने के लिए तुरंत नहलाएँ। कमरे में पंखे, कूलर या एसी जो भी हो उसे चालू करें।
ना़ड़ी और तापमान हर आधे घंटे में देखते रहें।
मरीज को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए ग्लूकोज और नमक या ओआरएस का घोल लगातार देते रहें।
लू से बचाव के लिए घर से खाली पेट न निकलें।
ताजा खाना खाएँ। आम और पुदीना का पना, छाछ, नींबू की शिकंजी और प्याज का अधिक से अधिक उपयोग करें।
मौसमी फलों का सेवन करें
कुदरत ने मौसम के अनुरूप कई नियामतें भी दी हैं। गर्मियों में आने वाले फलों में पानी की मात्रा काफी होती है, इसलिए इनका सेवन जरूर करें। जैसे तरबूज, खरबूज, खीरा आदि को नियमित लेने से शरीर में पानी के साथ खनिज-लवणों की भी पूर्ति होती है।
खानपान पर नियंत्रण
गर्मी में सामान्य खाना जैसे दाल, चावल, सब्जी, रोटी आदि खाना ठीक रहता है। गर्मी में भूख से थो़ड़ा कम खाना चाहिए। इससे आपका हाजमा भी ठीक रहेगा और फुर्ती भी बनी रहेगी। इसके साथ तली हुई चीजों को ज्यादा न खाएँ, यह आपका हाजमा बिगा़ड़ सकते हैं।
खूब पानी पिएँ
गर्मियों में शरीर का अधिकांश पानी पसीने के रूप में वाष्पीकृत हो जाता है। इसलिए दिन में कम से कम चार लीटर पानी पिएँ। गर्मी में नारियल पानी, छाछ और लस्सी पीने से भी जल का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
तली चीजों से बचें
गर्मी के मौसम में तली और मसालेदार चीजें खाने की इच्छा ज्यादा होती है। लेकिन इस मौसम में इन चीजों से बचा जाना ही बेहतर होता है। खाने में बहुत ज्यादा नमक भी न लें। नमकीन, मूँगफली, तले हुए पापड़-चिप्स और तेल में तले हुए खाद्य पदार्थ न ही खाएँ तो बेहतर होगा। इसके स्थान पर दही और छाछ लेना सर्वोत्तम है।
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