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Tuesday, May 18, 2010

आँखों का तवा

मिट्टी के चूल्हे पर


शर्मीली आँखों का तवा रख

ख़्वाबों की रोटियाँ सेंक ली है

लरज़ते ख्यालों की सब्जी में

प्यार का तड़का लगाया है

उसके आने की खुशबू

हवाओं में फैली है

इंतज़ार की अवधि को

जायकेदार नमक के साथ

कुरमुरा बनाया है

मनुहार की चाशनी

उसे रोक ही लेगी .

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