कोई भी नाम मिरा लेके बुलाले मुझको
तूने देखा नहीं आईने से आगे कुछ भी
ख़ुदपरस्ती में कहीं तू न गँवा ले मुझको
कल की बात और है, मैं अब सा रहूँ या न रहूँ
जितना भी चाहे तिरा, आज सताले मुझको
खु़द को मैं बाँट न डालूं कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको
बादह फिर बादह है मैं ज़हर भी पी जाऊं क़तील
शर्त यह है, कोई बाहों में संभाले मुझको
खु़द को मैं बाँट न डालूं कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको
बादह फिर बादह है मैं ज़हर भी पी जाऊं क़तील
शर्त यह है, कोई बाहों में संभाले मुझको
ग़ोता-ज़न- ग़ोताखोर
ख़ुदपरस्ती- स्वंय की पूजा
बादह- शराब
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