पटना।। प्रतिभाशाली गरीब बच्चों को फ्री में आईआईटी-जेईई की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर सुपर-30 के सभ
ी 30 स्टूडेंट्स इस बार भी सफल रहे हैं। ऐसा लगातार तीसरी बार हुआ है कि कोचिंग सेंटर के सभी 30 बच्चों ने आईईटी के एंट्रेस एग्जाम में बाजी मारी है।
सुपर 30 के संस्थापक आनंद ने बुधवार को बताया कि एक बार फिर उनकी संस्था के सभी 30 छात्र आईआईटी-जेईई की परीक्षा में सफल रहे हैं। उन्होंने बताया कि सन् 2002 में स्थापना के बाद से लेकर अब तक उनकी संस्था के कुल 212 बच्चे इंजीनियरिंग एंट्रेस टेस्ट में सफल हुए हैं। सुपर 30 के इन छात्रों की खासियत यह है कि वे सभी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो किसी भी हालत में फुल टाइम कोचिंग का बोझ नहीं उठा सकते थे।
आनंद ने बताया कि वे अब इन बच्चों के आईआईटी में एडमिशन और आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए उनके वास्ते एजुकेशन लोन की व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे। आनंद आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण खुद कैम्ब्रिज में पढ़ने का मौका गवां खो चुके हैं। वह अपने सुपर 30 के बच्चों को पूरी स्कॉलरशिप देते हैं जिसमें रहना, खाना और यात्रा करना सब कुछ शामिल है।
आईआईटी-जेईई में पास हुए बच्चों में से एक नालंदा जिला निवासी शुभम कुमार है जिसके पिता एक गरीब किसान हैं और उनकी मासिक आय मात्र 2500 रुपये है। उन्होंने कहा कि अगर आनंद जी ने मदद नहीं की होती तो उनका बच्चा इस कॉम्पटिशन में सफल नहीं हो पाता।
सुपर 30 के संस्थापक आनंद ने बुधवार को बताया कि एक बार फिर उनकी संस्था के सभी 30 छात्र आईआईटी-जेईई की परीक्षा में सफल रहे हैं। उन्होंने बताया कि सन् 2002 में स्थापना के बाद से लेकर अब तक उनकी संस्था के कुल 212 बच्चे इंजीनियरिंग एंट्रेस टेस्ट में सफल हुए हैं। सुपर 30 के इन छात्रों की खासियत यह है कि वे सभी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो किसी भी हालत में फुल टाइम कोचिंग का बोझ नहीं उठा सकते थे।
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आनंद ने बताया कि वे अब इन बच्चों के आईआईटी में एडमिशन और आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए उनके वास्ते एजुकेशन लोन की व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे। आनंद आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण खुद कैम्ब्रिज में पढ़ने का मौका गवां खो चुके हैं। वह अपने सुपर 30 के बच्चों को पूरी स्कॉलरशिप देते हैं जिसमें रहना, खाना और यात्रा करना सब कुछ शामिल है।
आईआईटी-जेईई में पास हुए बच्चों में से एक नालंदा जिला निवासी शुभम कुमार है जिसके पिता एक गरीब किसान हैं और उनकी मासिक आय मात्र 2500 रुपये है। उन्होंने कहा कि अगर आनंद जी ने मदद नहीं की होती तो उनका बच्चा इस कॉम्पटिशन में सफल नहीं हो पाता।
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हर साल देश के 30 होनहार स्टूडेंट्स को आईआईटी कैंपस पहुंचाने वाले सुपर-30 को टाइम मैगजीन ने बेस्
ट ऑफ एशिया 2010 में जगह दी है। टाइम मैगजीन ने कहा कि सुपर 30 का पास होने का रेट 100 पर्सेंट है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें समाज के सबसे गरीब तबके के ऐसे स्टूडेंट्स को जगह मिलती है, जो ऐसी फुलटाइम कोचिंग लेने में समर्थ नहीं होते।
टाइम मैगजीन में आने की उपलब्धि पर सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार बेहद खुश हैं। वह कहते हैं कि यह खुशी का मौका है, क्योंकि सुपर-30 इस बात का उदाहरण बन गया है कि मानव क्षमता के बल पर क्या हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गरीबी और सामाजिक शोषण से निजात पाने के लिए शिक्षा ही एकमात्र हथियार है।
आनंद कुमार के इस कोचिंग सेंटर में एंट्रेंस के लिए स्टूडेंट्स को एंट्रेंस देना होता है। साथ ही, यह वचन भी देना होता है कि वे दिन में कम से कम 16 घंटे पढ़ाई करेंगे। साल 2003 से इस सेंटर के 210 में से 182 छात्रों ने आईआईटी एंट्रेंस टेस्ट में कामयाबी हासिल की है। इस सेंटर के संस्थापक आनंद कुमार पैसों की कमी की वजह से कैंब्रिज में पढ़ाई से चूक गए थे। वह अपनी कोचिंग में सभी छात्रों की स्कॉलरशिप, कमरे और आने-जाने का खर्च उठाते हैं।
सुपर-30 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सराहा है। गांवों के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने के वास्ते मनमोहन सिंह इसी साल फरवरी में आनंद कुमार से मिले थे।
आनंद कुमार के इस कोचिंग सेंटर में एंट्रेंस के लिए स्टूडेंट्स को एंट्रेंस देना होता है। साथ ही, यह वचन भी देना होता है कि वे दिन में कम से कम 16 घंटे पढ़ाई करेंगे। साल 2003 से इस सेंटर के 210 में से 182 छात्रों ने आईआईटी एंट्रेंस टेस्ट में कामयाबी हासिल की है। इस सेंटर के संस्थापक आनंद कुमार पैसों की कमी की वजह से कैंब्रिज में पढ़ाई से चूक गए थे। वह अपनी कोचिंग में सभी छात्रों की स्कॉलरशिप, कमरे और आने-जाने का खर्च उठाते हैं।
सुपर-30 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सराहा है। गांवों के प्रतिभाशाली बच्चों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने के वास्ते मनमोहन सिंह इसी साल फरवरी में आनंद कुमार से मिले थे।
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