क्षमा याचना :
मै विवेक अंजन कोई कवि नहीं हू ना ही कोई रचनाकार हू पर अनजाने से कुछ कवियों की कविताये इतनी बढ़िया लगी की मैंने उन्हें अपने ब्लॉग पर लिख लिया है!
मै सिर्फ एक पाठक मात्र हू,कभी कुछ लिखता भी हू !
अगर मेरे से अनजाने में किसी कवी या रचनाकार का दिल दुख हो तो मै इसके लिए क्षमा प्राथी हू !
अक्सर ही अन्य रचनाकारों की रचना इतनी अधिक पसंद आ जाती है कि मन करता है कि नोट कर लू और अपने
मित्रों को भी पढ़वायें . इस तरह से यह कोई गलत कार्य नहीं है !
मित्रों को भी पढ़वायें . इस तरह से यह कोई गलत कार्य नहीं है !
भविष्य में मै इन बातो का ध्यान रखुगा कि ये काम न हो और मेरी लिखी नहीं है एवं इसे मैने अमुक लिंक पर पढ़ा है और इसके रचनाकार अमुक हैं लिखना न भूलू
एक अच्छी और स्वस्थ परंपरा का निर्वहन करुगा ! .
आपका : विवेक अंजन
4 comments:
अगर आप उनके नाम से ही पोस्ट करते हैं तब तो एतराज नही होना चाहिये ।
आपने भूल स्वीकार कर ली है,
निसन्देह आप बधाई और साधुवाद के पात्र हैं .
अच्छा लगा कि आप ने समझा और पोस्ट हटा दी। सुबह का भूला शाम को लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते।
आशा है आप रचते रहेंगे और सुन्दर रचनाओं को प्रोमोट करते रहेंगे लेकिन उनके मूल रचनाकारों के नाम, आभार और लिंक के साथ।
सफल ब्लॉगिंग और सफल जीवन के लिए शुभकामनाएँ।
विवेक ‘अन्जान’ से अन्जाने में ही गलती हुई लगती है। निश्चित् ही उन्हें यह अनुभव कड़वा लगा होगा। लेकिन अब बात समझ में आ गयी तो सबकुछ ठीक हो गया।
दूसरों की बौधिक संपदा पर हक न जताइए, बस उसका आनन्द लीजिए और उसकी प्रशंसा कीजिए। साधुवाद।
Post a Comment