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Monday, September 27, 2010

बहाने पीने के

नशे का शोंक नहीं जो इतनी हम पीते हैं ,

इस मय के सहारे से बस , जी लेते हैं !

पीने दे मुझे आज फिर साकी,पीने के तो बहाने  होते है,न पीने वाले क्या जाने,पीने वाले दीवाने होते है,महसूस करने के लिए अपनापन हों दिल में,ना पीनें वालो से वों बेगाने होते है,मिलना चाहो तो साथ देती है कुदरत भी,ना मिलने के हज़ार अफ़साने होते है,कहते है की मजबूर है वों खुद से,पर बाद में उन्हें ही हमारे किस्से सुनाने होते है,कहाँ जाए मयकदा छोड़ के हम,दुनिया क सारे गम यही तो भुलाने होते है,पीने दे मुझे आज फिर साकी,पीने के तो भने होते है!!!

1 comment:

Patali-The-Village said...

कविता अच्छी लगी धन्यवाद|

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