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Thursday, September 9, 2010

गणेशोत्सव



गणेशोत्सव (गणेश + उत्सव) हिन्दुओं का एक उत्सव है। वैसे तो यह कमोबेश पूरे भारत में मनाया जाता है, किन्तु महाराष्ट्र का गणेशोत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में भी पुणे का गणेशोत्सव जगत्प्रसिद्ध है। यह उत्सव, हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी (चार तारीख से चौदह तारीख तक) तक दस दिनों तक चलता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी भी कहते हैं।

इतिहास

पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया। कहते हैं कि पुणे में कस्बा गणपति नाम से प्रसिद्ध गणपति की स्थपना शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने की थी। परंतु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणोत्सव को को जो स्वरूप दिया उससे गणेश राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बन गये। तिलक के प्रयास से पहले गणेश पूजा परिवार तक ही सीमित थी। पूजा को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देते समय उसे केवल धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि आजादी की लड़ाई, छुआछूत दूर करने और समाज को संगठित करने तथा आम आदमी का ज्ञानवर्धन करने का उसे जरिया बनाया और उसे एक आंदोलन का स्वरूप दिया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में गणेशोत्सव का जो सार्वजनिक पौधरोपण किया था वह अब विराट वट वृक्ष का रूप ले चुका है। वर्तमान में केवल महाराष्ट्र में ही 50 हजार से ज्यादा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में काफी संख्या में गणेशोत्सव मंडल है।

इस उत्सव में नृत्य के आयोजन के साथ भक्ति संगीत और प्रसाद का वितरण भी किया गया। गणेश उत्सव के दौरान ईमानदारी, सहिष्णुता और प्रेम के प्रतीक भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाती है।

यह उत्सव परंपरागत रूप से 10 दिन तक चलता है। माना जाता है कि इस दौरान भगवान गणेश धरती पर आते हैं और अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। भारत में यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। विशेषकर पश्चिमी प्रांत महाराष्ट्र और उसकी राजधानी मुंबई में इस उत्सव का रंग कुछ अलग ही दिखता है। मुंबई के लगभग हर क्षेत्र में भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है और उनको काफी सजाया जाता है।

राजिम & रिद्धि-सिद्धि के दाता, विध्नहर्ता, दुखहर्ता प्रथम पूज्य गणपति गजानंद 11 सितंबर से जगह-जगह विराजेंगे। लोग घरों में गणेश की मूर्तियां रखकर पूरे ग्यारह दिन तक सेवा और पूजा-अर्चना करेंगे। गणेशोत्सव को देखते हुए मूर्तिकार दो माह से गणेश की मूर्तियां बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं। नगर में अनेक चौक-चौराहे पर पंडालों में गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाएगी। मूर्तिकार इस वर्ष आर्डर के अनुसार नौ फीट ऊंची गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं।

 



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