कहते हैं कि पैसे से हर खुशी खरीदी जा सकती है। मगर ऐसा है नहीं, एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि वेतन बढ़ने के साथ जिंदगी में खुशी के बढ़ने की भी एक सीमा है।
अधिक वेतन पाने वाले लोगों की जिंदगी से खुशियां भी कम हो जाती हैं।
अध्ययन के दौरान इन लोगों के वेतन और इनकी जिंदगी की खुशियों के बारे में जाना गया। इसके बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि खुशियों का बहुत ज्यादा ताल्लुक वेतन से नहीं है।
इस अध्ययन में पाया गया कि 50,000 पाउंड प्रति वर्ष वेतन पाने वाले बेहद खुश और अपने जीवन से संतुष्ट दिखाई दिए।
उनमें तनाव भी नहीं दिखा। वहीं 75,000 पाउंड प्रति वर्ष का वेतन पाने वाले अपेक्षाकृत कम खुश नजर आए और उनकी जिंदगी में तनाव ज्यादा था।
अध्ययन में कहा गया कि जो लोग एक लाख अथवा ढेढ़ लाख पाउंड का वेतन पाते हैं उनमें इन सबसे ज्यादा तनाव होता है।
उन्हें अपनी जिंदगी में खुशियां तलाशने का वक्त नहीं मिलता। ये लोग 50,000 पाउंड वेतन पाने वाले से ज्यादा खुश नहीं पाए गए।
इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता डॉक्टर क्रिस ब्यॉस ने कहा कि ज्यादा वेतन पाने वालों में खुशी के अभाव की वजह से उनमें आत्मसंतुष्टि की कमी भी है।
अगर कोई व्यक्ति 10 पाउंड डॉलर सालाना की कमाई करता है और उसके दोस्त का वेतन 20 लाख पाउंड सालाना है तो वह खुश नहीं रह सकता।
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