Pages

Saturday, April 17, 2010

लगातार सिकुड़ता हुआ मानव मस्तिष्क


मानव का मस्तिष्क सिकुड़ता जा रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मनुष्य की दिमागी क्षमता में कमी हो रही है, बल्कि उसका मस्तिष्क सिकुड़ते कम्प्यूटर की तरह ज्यादा कुशल बनता जा रहा है।

फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने 1868 में पेरिस के दोर्दान में एक गुफा से पाँच पुराने कंकालों के बीच मिली बीस हजार साल पुरानी एक खोपड़ी की अनुकृति का अध्ययन करने के बाद बताया है कि यह वर्तमान मनुष्य की खोपड़ी से 20 प्रतिशत तक बड़ी है। यह खोपड़ी क्रो मैगनन मानव प्रजाति से संबंधित थी।

यह फ्रांस के राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय में रखी हुई है। वैज्ञानिक दल ने इसकी अनुकृति तैयार की है, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह आधुनिक युग के प्रारंभिक मानव की खोपड़ी की अब तक की सर्वश्रेष्ठ अनुकृति है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि खोपड़ी के बड़े होने का यह मतलब नहीं है कि मनुष्य के पूर्वज ज्यादा बुद्धिमान थे। अध्ययनों से पता लगा है कि मस्तिष्क के आकार और आईक्यू (सामान्य बुद्धिमत्ता) के बीच बहुत मामूली संबंध होता है। वैज्ञानिकों के इस शोध से मानव विकास के एक महत्वपूर्ण सवाल पर रोशनी पड़ सकती है कि यदि मनुष्य का मस्तिष्क सिकुड़ता जा रहा है तो इसकी वजह क्या है। यह सवाल विशेषज्ञों को परेशान करता रहा है और इस पर उनके बीच मतभेद हैं।

समझा जाता है कि यह खोपड़ी किसी सुगठित अधेड़ व्यक्ति की है, जो लगभग छह फुट लंबा था। इस खोपड़ी के बारे में दुनिया भर के वैज्ञानिक पहले से ही जानते हैं, लेकिन जल्दी ही यह और प्रसिद्ध हो जाएगी, जब वॉशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय में इसकी अनुकृति को प्रदर्शित किया जाएगा।

पेरिस के कुइंज विंग्ट्स अस्पताल में खोपड़ी के आंतरिक भाग का स्कैन करके इस अनुकृति को तैयार किया गया था, ताकि मस्तिष्क से तंत्रिका कपाल (न्यूरोक्रैनियम) पर पड़े प्रभाव की तस्वीर ली जा सके।

इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय के एंतिओन बाल्शॉ ने इसे थ्रीडी तस्वीर में परिवर्तित किया और फिर एक विशेषज्ञ सॉफ्टवेयर प्रोटोटाइपिंग फर्म ने इस खोपड़ी की अनुकृति तैयार की।

बाल्शॉ का कहना है कि यह अब तक की सबसे सुंदर अनुकृतियों में है। उन्होंने बताया कि क्रो मैग्नन खोपड़ी के एक प्रारंभिक आकलन से पुष्टि हुई है कि मानव का मस्तिष्क लाखों वर्षों के दौरान कुछ छोटा हुआ है। हालाँकि पहले यह माना जाता था कि मानव का मस्तिष्क बड़ा होता जा रहा है।

बाल्शा बताते हैं हालाँकि ऐसा लगता है कि भाषा और एकाग्रता से संबंधित मस्तिष्क का ढाँचा अनुमस्तिष्क (सेरिब्लेम) क्रो मैगनन के समय की तुलना में अधिक अनुपात ग्रहण कर रहा है। इससे पता लगता है कि मस्तिष्क के कुछ हिस्से दूसरे भागों की तुलना में अधिक सिकुड़ रहे हैं।

सिकुड़ते मस्तिष्क के रहस्य को स्पष्ट करने के लिए कई सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें एक सिद्धांत यह है कि अपर पैलियोलिथेक युग में सर्दी से बचने और बाहरी गतिविधियों के दौरान जिंदा रहने के लिए बड़े सिर जरूरी थे।

दूसरा सिद्धांत यह है कि खरगोश, रेंडियर, लोमड़ी और घोड़े के माँस को चबाकर खाने के साथ खोपड़ी का विकास हुआ, लेकिन जैसे-जैसे भोजन करने में आसानी होती गई, मनुष्य की खोपड़ी का विकास रुक गया। कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात में मृत्यु दर अधिक होने के कारण वही जिंदा रह सकता था, जो ज्यादा से ज्यादा मजबूत हो। यह भी बड़े सिर होने का कारण हो सकता है।

No comments:

Post a Comment