Sunday, October 19, 2025

✨ रूप चौदस: सौंदर्य, स्वास्थ्य और आत्मशुद्धि का पर्व ✨

 दीपावली का पर्व केवल रोशनी और मिठास का ही नहीं, बल्कि आत्मिक और शारीरिक शुद्धि का भी प्रतीक है। दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाने वाली रूप चौदस या नरक चतुर्दशी, विशेष रूप से सौंदर्य, स्वास्थ्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देती है।

🔹 रूप चौदस का महत्व

रूप चौदस का शाब्दिक अर्थ है"रूप और सौंदर्य की चौदस" इस दिन को विशेष रूप से सौंदर्य और आत्म-देखभाल के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त किया था। इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।

🔹 परंपराएं और रीति-रिवाज

  1. स्नान और उबटन: इस दिन सूर्योदय से पहले उबटन (चंदन, बेसन, हल्दी आदि से बना लेप) लगाकर स्नान करने की परंपरा है। इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है, जो शरीर को शुद्ध करने के साथ-साथ सौंदर्य भी प्रदान करता है।
  2. दीपदान: घर के कोनों में दीपक जलाकर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रयास किया जाता है।
  3. सौंदर्य साधना: महिलाएं इस दिन विशेष रूप से श्रृंगार करती हैं और सुंदर वस्त्र पहनती हैं। यह आत्म-सम्मान और आत्म-प्रेम का प्रतीक है।
  4. यम दीपदान: इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाकर घर के बाहर रखा जाता है, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

🔹 आधुनिक संदर्भ में रूप चौदस

आज के समय में रूप चौदस को सेल्फ-केयर डे के रूप में भी देखा जा सकता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बाहरी सुंदरता के साथ-साथ आंतरिक शुद्धता और मानसिक शांति भी जरूरी है।

🔹 संदेश

रूप चौदस हमें सिखाती है कि सच्चा सौंदर्य आत्मा की शुद्धता में है जब हम अपने शरीर, मन और आत्मा की देखभाल करते हैं, तभी हम सच्चे अर्थों में दीपावली की रोशनी को अपने भीतर महसूस कर सकते हैं।

 

आप सभी को रूप चौदस की हार्दिक शुभकामनाएं!
स्वस्थ रहें, सुंदर रहें और अपने भीतर की रोशनी को जगाएं। 🌼🪔

 

No comments:

Post a Comment


आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव