अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी, कुशमांड नवमी, या सत्य युगादि भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व शुक्रवार, 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
📜 पौराणिक मान्यता
इस दिन को सत्य युग के प्रारंभ का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने कुशमांड नामक राक्षस का वध कर अधर्म का अंत किया था। साथ ही, आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु का निवास स्थान माना गया है।
🕉️ पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- यदि घर में आंवला वृक्ष हो, तो उसकी जड़ में दूध और जल अर्पित करें।
- इसके बाद रोली, मौली, चंदन, फूल, चावल, दीपक, फल और मिठाई अर्पित करें।
- वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और आंवला नवमी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- आंवला फल का सेवन प्रसाद रूप में करें और वृक्ष के नीचे भोजन करना शुभ माना जाता है।
🙏 व्रत और उपवास
इस दिन महिलाएं विशेष रूप से अनाज रहित व्रत रखती हैं और भजन-कीर्तन में दिन व्यतीत करती हैं। व्रत रखने से मोक्ष, सद्गति, और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
🎁 दान का महत्व
अक्षय नवमी पर किया गया दान कभी नष्ट नहीं होता। इस दिन फल, वस्त्र, अन्न या धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पुण्य अनेक जन्मों तक फलदायी होता है।
🌿 विशेष तथ्य
- इस दिन गंगा स्नान और तर्पण करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
- भगवान विष्णु और तुलसी विवाह की भी परंपरा है, जिससे किशोरी और मुकुंद की कथा जुड़ी है, जो व्रत की महिमा को दर्शाती है।
🌸 निष्कर्ष
अक्षय नवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, सदाचार, और अक्षय पुण्य का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और सेवा से भाग्य भी बदला जा सकता है। आइए इस पावन अवसर पर हम सभी धार्मिक अनुष्ठानों, दान, और आंवला वृक्ष की पूजा के माध्यम से अक्षय फल की प्राप्ति करें।
No comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव