Thursday, October 30, 2025

✨ अक्षय नवमी 2025: अक्षय पुण्य का पर्व

 अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी, कुशमांड नवमी, या सत्य युगादि भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व शुक्रवार, 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

📜 पौराणिक मान्यता

इस दिन को सत्य युग के प्रारंभ का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने कुशमांड नामक राक्षस का वध कर अधर्म का अंत किया था। साथ ही, आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान विष्णु का निवास स्थान माना गया है।

🕉️ पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • यदि घर में आंवला वृक्ष हो, तो उसकी जड़ में दूध और जल अर्पित करें।
  • इसके बाद रोली, मौली, चंदन, फूल, चावल, दीपक, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और आंवला नवमी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  • आंवला फल का सेवन प्रसाद रूप में करें और वृक्ष के नीचे भोजन करना शुभ माना जाता है।

🙏 व्रत और उपवास

इस दिन महिलाएं विशेष रूप से अनाज रहित व्रत रखती हैं और भजन-कीर्तन में दिन व्यतीत करती हैं। व्रत रखने से मोक्ष, सद्गति, और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

🎁 दान का महत्व

अक्षय नवमी पर किया गया दान कभी नष्ट नहीं होता। इस दिन फल, वस्त्र, अन्न या धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पुण्य अनेक जन्मों तक फलदायी होता है।

🌿 विशेष तथ्य

  • इस दिन गंगा स्नान और तर्पण करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
  • भगवान विष्णु और तुलसी विवाह की भी परंपरा है, जिससे किशोरी और मुकुंद की कथा जुड़ी है, जो व्रत की महिमा को दर्शाती है।

🌸 निष्कर्ष

अक्षय नवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, सदाचार, और अक्षय पुण्य का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और सेवा से भाग्य भी बदला जा सकता है। आइए इस पावन अवसर पर हम सभी धार्मिक अनुष्ठानों, दान, और आंवला वृक्ष की पूजा के माध्यम से अक्षय फल की प्राप्ति करें।

Wednesday, October 29, 2025

ताकत बढ़ाओ, शक्ति की क़ीमत है

 प्रस्तावना:

हमारे जीवन में "ताकत" शब्द का अर्थ केवल शारीरिक बल तक सीमित नहीं है। यह एक व्यापक अवधारणा है जिसमें मानसिक दृढ़ता, भावनात्मक संतुलन, आत्म-नियंत्रण और नैतिक साहस भी शामिल हैं। यह ब्लॉग इसी विचार को विस्तार से समझाता है कि क्यों और कैसे हमें अपनी ताकत को बढ़ाना चाहिए, और क्यों शक्ति की एक वास्तविक क़ीमत होती है।

 

🧠 1. मानसिक ताकत: सोच की शक्ति

मानसिक ताकत वह आधार है जिस पर हमारा आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता टिकी होती है। यह हमें कठिन परिस्थितियों में भी शांत और स्थिर रहने की क्षमता देती है।

कैसे बढ़ाएं:

  • ध्यान और मेडिटेशन करें।
  • नकारात्मक सोच से दूरी बनाएं।
  • आत्म-संवाद (self-talk) को सकारात्मक बनाएं।

 

❤️ 2. भावनात्मक ताकत: दिल की मजबूती

भावनात्मक ताकत हमें रिश्तों को संभालने, असफलताओं से उबरने और दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने की क्षमता देती है।

कैसे बढ़ाएं:

  • अपनी भावनाओं को पहचानें और स्वीकारें।
  • माफ़ करना और आगे बढ़ना सीखें।
  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) को विकसित करें।

 

💪 3. शारीरिक ताकत: स्वास्थ्य ही संपत्ति है

शारीरिक ताकत केवल शरीर को स्वस्थ रखती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन में भी सहायक होती है।

कैसे बढ़ाएं:

  • नियमित व्यायाम करें।
  • संतुलित आहार लें।
  • पर्याप्त नींद और विश्राम लें।

 

🔥 4. आत्मिक ताकत: आत्मा की शक्ति

यह वह शक्ति है जो हमें हमारे मूल्यों, विश्वासों और जीवन के उद्देश्य से जोड़ती है। यह हमें सही और गलत में अंतर करने की क्षमता देती है।

कैसे बढ़ाएं:

  • आत्मनिरीक्षण करें।
  • आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें।
  • सेवा और परोपकार में भाग लें।

 

💎 5. शक्ति की क़ीमत: क्यों जरूरी है समझना?

शक्ति मुफ्त में नहीं मिलती। इसके लिए समय, अनुशासन, त्याग और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। जब हम अपनी ताकत को पहचानते हैं और उसे सही दिशा में लगाते हैं, तभी हम अपने जीवन में सच्ची सफलता और संतोष प्राप्त कर सकते हैं।

शक्ति की क़ीमत चुकानी पड़ती है:

  • समय देना पड़ता है।
  • आराम छोड़ना पड़ता है।
  • असफलताओं से सीखना पड़ता है।

 

🌱 6. ताकत बढ़ाने के व्यावहारिक उपाय

  • डेली रूटीन बनाएं और उसका पालन करें।
  • नई चीजें सीखें, जैसे कोई भाषा, वाद्य यंत्र या स्किल।
  • सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं
  • अपने डर का सामना करें, उससे भागें नहीं।

 

निष्कर्ष:

ताकत कोई एक दिन में नहीं बनती। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके हम खुद को बेहतर बनाते हैं। याद रखें, "ताकत बढ़ाओ, क्योंकि शक्ति की क़ीमत है।" और जब आपके पास शक्ति होगी, तो आप केवल अपने लिए, बल्कि समाज और देश के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं।

 

Tuesday, October 28, 2025

काव्य-संग्रह समीक्षा: साझे की बेटियाँ

 काव्य-संग्रह समीक्षा: साझे की बेटियाँ

लेखक: सुनीता करोथवाल
संग्रह: साझे की बेटियाँ
विधा: कविता
स्त्री-जीवन के साझा सुख-दुःख का आईना
सुनीता करोथवाल का चौथा काव्य संग्रह 'साझे की बेटियाँ' समकालीन हिंदी कविता में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है। यह संग्रह केवल कविताओं का संकलन मात्र नहीं है, बल्कि स्त्री-जीवन के उन जटिल, अनकहे और साझा अनुभवों का दर्पण है, जिन्हें समाज अक्सर अनदेखा कर देता है। संग्रह का शीर्षक ही विचारोत्तेजक है: बेटियाँ किसी एक घर या व्यक्ति की नहीं, बल्कि समाज के सुख-दुःख की साझा उत्तराधिकारी हैं।
करोथवाल जी अपनी कविताओं में घरेलू और सामाजिक यथार्थ के बीच एक सहज संवाद स्थापित करती हैं। उनकी कविताएँ बेटियों के जन्म से लेकर उनके पालन-पोषण, शिक्षा, विवाह और फिर एक माँ या गृहणी के रूप में उनके अस्तित्व के द्वंद्व को बड़ी संवेदनशीलता से चित्रित करती हैं।
"बेटियाँ जब घर से विदा होती हैं,
वे सिर्फ़ एक कमरा ख़ाली नहीं करतीं,
वे अपने साथ ले जाती हैं
पूरे घर की अनकही मुस्कानें।"


भाषा और शिल्प
कवयित्री की सबसे बड़ी शक्ति उनकी भाषा की सरलता और सपाटबयानी है। उनकी शैली आडंबर से मुक्त है, जो पाठक को सीधे कविता के मर्म तक पहुँचाती है। वे रोज़मर्रा के बिम्बों (इमेजरी) का प्रयोग इतनी कुशलता से करती हैं कि पाठक को लगता है जैसे वह अपने ही जीवन के किसी दृश्य को देख रहा हो। उनकी कविताएँ कथात्मक प्रवाह रखती हैं, जहाँ भावनाएँ बिना किसी लाग-लपेट के व्यक्त होती हैं।
संग्रह में नारी-विमर्श की चेतना मुखर है, लेकिन वह आक्रोशित या उग्र नहीं, बल्कि शांत और चिंतनशील है। यह विमर्श सवाल पूछता है, संघर्ष की बात करता है, पर अंततः आत्म-शक्ति और लचीलेपन (resilience) पर ज़ोर देता है। वे उन अनगिनत स्त्रियों की आवाज़ बनती हैं जो अपने हिस्से के आसमान की तलाश में हैं।
मुख्य आकर्षण
साझा अनुभव: संग्रह का केंद्रीय विचार यह है कि हर स्त्री का संघर्ष दूसरी स्त्री के संघर्ष से जुड़ा हुआ है। यह 'साझेदारी' दुख में सहानुभूति और सुख में सामूहिक उत्सव का भाव पैदा करती है।
दार्शनिक गहराई: सामान्य लगने वाले विषयों के भीतर भी कवयित्री जीवन के गहरे दार्शनिक पहलुओं को छूती हैं, जैसे समय का बहाव, रिश्तों की नश्वरता और प्रेम की चिरंतनता।
संबंधों की जटिलता: माँ और बेटी, सास और बहू, दो बहनों के बीच के रिश्ते—इन सभी संबंधों की परतें कविता में खोली गई हैं।
निष्कर्ष
'साझे की बेटियाँ' समकालीन हिंदी कविता के पाठकों के लिए एक ज़रूरी संग्रह है। यह हमें न केवल स्त्री-जीवन के प्रति संवेदनशील बनाता है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि हम सब कैसे 'साझे' की दुनिया में रहते हैं। यह संग्रह सुनीता करोथवाल की परिपक्व काव्य-यात्रा का प्रमाण है और निश्चित रूप से पाठकों के हृदय में एक अमिट छाप छोड़ेगा।

Monday, October 27, 2025

🌅 छठ पूजा और समापन: श्रद्धा, संस्कृति और संगठनात्मक एकता का संगम

छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अनुपम पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए समर्पित होता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता, अनुशासन और सामूहिक सहभागिता का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।

🙏 छठ पूजा की आध्यात्मिक गरिमा

छठ पूजा की शुरुआत व्रतियों द्वारा कठोर नियमों का पालन करते हुए होती है। चार दिवसीय इस पर्व में नहाय-खाय, लोहंडा, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य जैसे चरणों में श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जो आत्मशुद्धि और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक होता है।

पूरे आयोजन में भक्ति, अनुशासन और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रतधारी बिना नमक का भोजन करते हैं, और पूजा स्थल को स्वच्छता और सादगी से सजाया जाता है। गीतों और मंत्रों की गूंज वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है।

🎉 समापन: आभार, उत्साह और प्रेरणा

छठ पूजा का समापन प्रातः अर्घ्य के साथ होता है, जहाँ व्रतधारी उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पूर्णाहुति करते हैं। यह क्षण न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह सामूहिकता और सहयोग की भावना को भी उजागर करता है।

समापन के अवसर पर सभी सहभागी एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं, और आयोजन की सफलता के लिए आभार व्यक्त करते हैं। यह आयोजन एक ऐसा मंच बनता है जहाँ आध्यात्मिकता और संगठनात्मक संस्कृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है।

🌟 निष्कर्ष

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक जीवनशैली है — जिसमें संयम, श्रद्धा, स्वच्छता और सामूहिकता का समावेश होता है। इसके समापन के साथ ही एक नई ऊर्जा, सकारात्मकता और प्रेरणा का संचार होता है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक विकास की दिशा में मार्गदर्शक बनता है।

Friday, October 24, 2025

🌞 छठ पूजा 2025: तिथि, विधि और महत्व

छठ पूजा उत्तर भारत का एक प्रमुख पर्व है जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। यह पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है और चार दिनों तक चलता है। इसमें व्रती महिलाएं कठिन नियमों का पालन करते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं और संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।

📅 छठ पूजा 2025 की तिथियाँ

दिन

तिथि

विवरण

पहला दिन

25 अक्टूबर 2025 (शनिवार)

नहाय-खायव्रती स्नान कर सात्विक भोजन करते हैं और पूजा का संकल्प लेते हैं।

दूसरा दिन

26 अक्टूबर 2025 (रविवार)

खरनादिनभर उपवास और शाम को गुड़-चावल की खीर रोटी का प्रसाद। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

तीसरा दिन

27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)

संध्या अर्घ्यडूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया जाता है।

चौथा दिन

28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)

उषा अर्घ्यउगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। [timesnowhindi.com], [prabhatkhabar.com], [hindi.oneindia.com]

 

🧘‍♀️ पूजा विधि

🔹 नहाय-खाय:

  • सूर्योदय से पहले स्नान करें (यदि संभव हो तो नदी में या गंगाजल मिलाकर घर में स्नान करें)
  • घर और रसोई की सफाई करें।
  • सात्विक भोजन बनाएं: कद्दू की सब्जी, चावल, चना दाल।
  • भोजन में लहसुन-प्याज और सामान्य नमक का प्रयोग करें; सेंधा नमक और शुद्ध घी का उपयोग करें।

🔹 खरना:

  • दिनभर उपवास रखें।
  • शाम को गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद बनाएं।
  • प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करें।

🔹 संध्या अर्घ्य:

  • पूजा सामग्री सिर पर रखकर घाट पर जाएं।
  • डूबते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य दें।

🔹 उषा अर्घ्य:

  • अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
  • व्रत का पारण करें और छठी मैया से सुख-समृद्धि की कामना करें।

 

🛍️ पूजा सामग्री सूची

गन्ना, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, बाती, कुमकुम, चंदन, फूल, साबुत सुपारी, शहद, हल्दी, मूली, नारियल, अक्षत, अदरक का पौधा, केला, नाशपाती, शकरकंदी, सुथनी, मिठाई, पीला सिंदूर, घी, गुड़, गेहूं, चावल का आटा आदि। [timesnowhindi.com]

 

🙏 महत्व और संदेश

छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मसंयम, शुद्धता और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सूर्य, जल और अन्न जैसे प्राकृतिक तत्व हमारे जीवन के आधार हैं और इनका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।

 

🎆 दिवाली के बाद क्या करें: सेहतमंद जीवनशैली की ओर पहला कदम

 दिवाली का त्योहार रोशनी, मिठाइयों और उल्लास से भरपूर होता है। लेकिन इस दौरान खान-पान और दिनचर्या में जो बदलाव आते हैं, वे शरीर पर असर डाल सकते हैं। इसलिए दिवाली के बाद खुद को फिर से संतुलित करना ज़रूरी है। आइए जानते हैं कि दिवाली के बाद क्या करें ताकि आपकी सेहत बनी रहे:

 

🥗 1. डिटॉक्स डाइट अपनाएं

त्योहारों में तले-भुने और मीठे खाद्य पदार्थों की अधिकता से शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो जाते हैं। इन्हें बाहर निकालने के लिए डिटॉक्स डाइट अपनाना फायदेमंद होता है।

क्या करें:

  • दिन की शुरुआत गुनगुने नींबू पानी से करें
  • नारियल पानी, हर्बल चाय और ताज़े फलों का रस लें
  • हरी सब्जियाँ, सलाद और हल्का भोजन करें
  • चीनी और प्रोसेस्ड फूड से परहेज़ करें

 

🧘‍♀️ 2. नियमित व्यायाम फिर से शुरू करें

दिवाली की भागदौड़ में अक्सर व्यायाम छूट जाता है। अब समय है फिर से एक्टिव होने का।

क्या करें:

  • सुबह की सैर या योग करें
  • हल्की स्ट्रेचिंग और प्राणायाम से शुरुआत करें
  • सप्ताह में कम से कम 5 दिन 30 मिनट का व्यायाम करें

 

😴 3. नींद की नियमितता बनाए रखें

देर रात तक जागना और अनियमित नींद शरीर को थका देता है।

क्या करें:

  • रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद लें
  • सोने और जागने का समय तय करें
  • सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें

 

💧 4. शरीर को हाइड्रेट रखें

पानी शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और ऊर्जा बनाए रखता है।

क्या करें:

  • दिन में कम से कम 8-10 ग्लास पानी पिएं
  • फलों और सब्जियों से भी पानी की पूर्ति करें

 

🧠 5. मानसिक शांति और ध्यान

त्योहारों की चहल-पहल के बाद मानसिक विश्राम भी ज़रूरी है।

क्या करें:

  • रोज़ 10-15 मिनट ध्यान करें
  • गहरी साँस लेने की तकनीक अपनाएं
  • सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन करें

 

🧹 6. घर और वातावरण की सफाई

पटाखों और सजावट के बाद घर में धूल और प्रदूषण बढ़ जाता है।

क्या करें:

  • घर की गहरी सफाई करें
  • पौधों और प्राकृतिक सजावट से वातावरण को ताज़ा करें
  • एयर प्यूरीफायर या प्राकृतिक वेंटिलेशन का उपयोग करें

 

📅 7. स्वास्थ्य जांच और योजना बनाएं

दिवाली के बाद स्वास्थ्य की स्थिति को समझना और आगे की योजना बनाना ज़रूरी है।

क्या करें:

  • सामान्य स्वास्थ्य जांच कराएं
  • अगले महीने के लिए फिटनेस और खान-पान की योजना बनाएं
  • परिवार के साथ हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की चर्चा करें

 

निष्कर्ष

दिवाली के बाद शरीर और मन को फिर से संतुलन में लाना ज़रूरी है। थोड़ी सी सावधानी, नियमितता और सकारात्मक सोच से आप केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि आने वाले महीनों के लिए ऊर्जा और उत्साह से भर सकते हैं।