Tuesday, September 23, 2025

🎶 साहित्य के बाद संगीत में मेरा पहला क़दम 🎶

 नमस्कार दोस्तों,

आप सभी जानते हैं कि साहित्य और लेखन मेरे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। मैंने शब्दों के साथ खेलना और भावनाओं को कागज़ पर उतारना हमेशा से पसंद किया है। लेकिन, मेरे दिल के किसी कोने में संगीत की एक धीमी-सी धुन हमेशा बजती रहती थी। और आज, मैं बहुत ख़ुश और उत्साहित हूँ कि मैं उस धुन को आप सभी के सामने लेकर आ रहा हूँ।

साहित्य की दुनिया से संगीत की इस नई यात्रा का पहला पड़ाव, मेरा पहला संगीत एल्बम जय वीणापाणि, जय माँ शारदे॥ आज YouTube पर उपलब्ध है। यह एल्बम सरस्वती माँ, ज्ञान और कला की देवी को समर्पित है, जिनकी कृपा से ही मैं यह नया क़दम उठा पाया हूँ।

यह सिर्फ़ एक एल्बम नहीं है, बल्कि मेरे सपनों का साकार होना है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में बहुत मेहनत और समर्पण लगा है। इसके बोल, संगीत, और यहाँ तक कि आवाज़ (जो कंप्यूटर-जनरेटेड है) को भी मैंने खुद तैयार किया है। इस एल्बम का पहला गीत, जो कि एक सरस्वती वंदना है, अब आप सुन सकते हैं।


आपका प्यार और समर्थन मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस एल्बम को सुनें, अपनी प्रतिक्रिया दें, और अगर आपको यह पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों, परिवार और प्रियजनों के साथ ज़रूर शेयर करें। आपके आशीर्वाद और प्रोत्साहन से ही मेरी यह यात्रा आगे बढ़ पाएगी।

यहाँ एल्बम का पहला गीत है:

👉 https://www.youtube.com/watch?v=ZwKS5HHLChk

आप सभी का धन्यवाद!

🙏 कृपया सुनें, आशीर्वाद दें और अपने प्रियजनों तक पहुँचाएँ। 💐

Sunday, September 21, 2025

हिंद युग्म उत्सव 2025 : रायपुर में सफल समापन

राजधानी रायपुर में 20 और 21 सितंबर को आयोजित हुआ हिंद युग्म उत्सव 2025 साहित्य और संस्कृति का ऐसा महोत्सव साबित हुआ, जिसने पाठकों, लेखकों और कलाकारों को एक ही मंच पर जोड़ दिया। दो दिनों तक पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में देशभर से आए करीब 100 लेखक-साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति से उत्सव को ऐतिहासिक बना दिया।



कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

1. साहित्यिक संवाद

·       नामचीन लेखकों और नए रचनाकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया।

·       राहगीर, फैजल मलिक (पंचायत फेम), नीलोत्पल मृणाल सहित कई चर्चित नामों ने अपनी मौजूदगी से कार्यक्रम को यादगार बनाया।

·       ओपन माइक "छत्तीसगढ़ : मंच खुला है" में 200 से अधिक नई प्रतिभाओं ने अपनी कविताएँ और कहानियाँ सुनाकर सबका मन मोह लिया।

2. विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित सत्र

·       इस उत्सव का केंद्र रहे महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल

·       उनके लेखन और जीवन पर आधारित विशेष डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया।

·       उन्हें हाल ही में मिली 30 लाख रुपये की रॉयल्टी को उत्सव के मंच से सम्मानपूर्वक उल्लेखित किया गया, जो हिंदी साहित्य की लोकप्रियता का प्रमाण है।

3. विविध आयोजन

·       कैंपस-कविता कार्यक्रम ने युवाओं की रचनात्मकता को सामने लाया।

·       स्टोरीटेलिंग और लाइव-सिंगिंग से श्रोताओं का मनोरंजन हुआ।

·       बच्चों और बड़ों के लिए टेराकोटा, पेंटिंग, हैंडीक्राफ्ट जैसी कार्यशालाओं का आयोजन हुआ।

·       संगीतमय शाम और स्टैंड-अप कॉमेडी ने साहित्यिक माहौल में हास्य और मनोरंजन का रंग भरा।

·       देशभर के बड़े प्रकाशकों की किताबों की प्रदर्शनियाँ और बिक्री ने पाठकों को नई किताबों से जोड़ने का अवसर दिया।

·       नई किताबों का लोकार्पण और कवर-रिलीज़ भी इस उत्सव की बड़ी विशेषता रही।

4. छत्तीसगढ़ की झलक

·       छत्तीसगढ़ की लोकनृत्य और लोकगायन की प्रस्तुतियाँ बेहद सराही गईं।

·       स्थानीय कलाकारों की पेंटिंग, मूर्तियाँ और क्राफ्ट की प्रदर्शनी ने संस्कृति का जीवंत रूप सामने रखा।

·       फ़ूड स्टॉल और हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट स्टॉल ने दर्शकों को छत्तीसगढ़ की असली खुशबू का अनुभव कराया।

विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित हिंद युग्म के 4थे सालाना उत्सव का सत्र ‘हिंदी साहित्य का शुक्ल पक्ष : छह महीनों में 30 लाख- हिंदी साहित्य में संभव हुआ असंभव’ अभी पूरा हुआ। इस सत्र में विनोद कुमार शुक्ल के 68 साल से मित्र और हमारे समय के महान कवि नरेश सक्सेना ने एक साहित्यकार को छह महीने में इतनी बड़ी रॉयल्टी मिलने को हिंदी साहित्य के इतिहास का सबसे बड़ा दिन बताया। यह रॉयल्टी इसलिए महत्वपूर्ण नहीं कि रक़म बड़ी है, बल्कि इसलिए कि यह असंभव का संभव होना है, क्योंकि यह आंकड़ा यह बताता है कि हिंदी साहित्य में किताब बिकने और पढ़ने का नंबर कितना बड़ा और बढ़ा है। इसी सिलसिले में नरेश सक्सेना ने हिंद युग्म को बधाई देते हुए कहा कि इसे हिंद युग्म प्रकाशन ही मुमकिन कर सका और यह कामयाबी विनोद कुमार शुक्ल ने हिंदी साहित्य को दी है। इस सत्र में विनोद कुमार शुक्ल को छह महीने की रॉयल्टी 30 लाख का चेक दिया गया। यह पल हम सबके लिए और हिंदी साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक पल साबित हुआ।

 



उत्सव की सफलता

दो दिनों तक चले इस साहित्यिक महाकुंभ ने यह साबित कर दिया कि हिंदी साहित्य की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।

·       दर्शकों की भारी भीड़ और साहित्यकारों का उत्साह इस उत्सव की सफलता का प्रमाण है।

·       न सिर्फ़ रायपुर, बल्कि आसपास के जिलों और राज्यों से भी साहित्यप्रेमी यहाँ पहुँचे।

·       यह आयोजन नए लेखकों और युवा प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणादायी मंच बना।

 

घुमंतू उत्सव की परंपरा

हिंद युग्म उत्सव देश का एकमात्र घुमंतू साहित्य उत्सव है।

·       इससे पहले इसके तीन संस्करण बाड़मेर, वाराणसी और भोपाल में आयोजित हुए थे।

·       रायपुर में आयोजित चौथा संस्करण सबसे बड़े और विविधतापूर्ण आयोजनों में गिना जाएगा।

·       यह आयोजन अभिकल्प फाउंडेशन एवं संज्ञा पीआर के संयुक्त तत्वावधान में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

4थे हिंद युग्म उत्सव के पहले दिन की इस कड़ी में हिमांशु गुप्ता की किताब ‘सहर’ का लोकार्पण।

कविताओं की नई किताब ‘एक अनाम पत्ती का स्मारक’ का लोकार्पण एवं उस पर चर्चा हुई। यह किताब नरेश सक्सेना की 14 सालों के बाद प्रकाशित हुई है। इस सत्र में महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल, लेखक रमेश अनुपम, स्वयं नरेश सक्सेना और हिंद युग्म के संपादक शैलेश भारतवासी मौजूद रहे।

 







निष्कर्ष

हिंद युग्म उत्सव 2025 रायपुर में भव्य और सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
यह केवल एक साहित्यिक कार्यक्रम नहीं बल्कि विचारों, संवादों, कला और संस्कृति का संगम था। दो दिनों तक चले इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ को साहित्यिक मानचित्र पर और मज़बूती से स्थापित किया है। आने वाले समय में यह उत्सव और भी बड़े पैमाने पर साहित्य और संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

  

मैहर का शारदेय नवरात्र मेला : माँ शारदा धाम की भक्ति और उत्सव

 परिचय

भारत में नवरात्र पर्व आस्था, शक्ति और भक्ति का सबसे बड़ा उत्सव है। मध्यप्रदेश के मैहर जिले का इस दौरान भक्तों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन जाता है। यहाँ स्थित माँ शारदा धाम में हर साल शारदेय नवरात्र मेला आयोजित होता है, जो धार्मिक आस्था के साथ-साथ लोक संस्कृति और सामाजिक उत्सव का अद्भुत संगम है।





माँ शारदा धाम, मैहर

  • स्थानत्रिकूट पर्वत, मैहर, मध्यप्रदेश
  • पहुँचने का मार्ग – 1063 सीढ़ियाँ या आधुनिक रोपवे सुविधा
  • मान्यतायहाँ माँ शारदा विराजमान होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।

नवरात्र की धूम: भक्ति और उत्सव का माहौल

शारदेय नवरात्र के दौरान मैहर का पूरा वातावरण 'जय माता दी' के जयकारों से गूँज उठता है। मंदिर परिसर में सुबह की आरती और शाम की महाआरती के समय भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। इस दौरान यहाँ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए जाते हैं। चारों ओर भक्ति गीत, भजन और कीर्तन की ध्वनि सुनाई देती है, जिससे हर किसी का मन माँ की भक्ति में डूब जाता है।

मैहर मेले का सांस्कृतिक महत्व

मैहर का मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ विभिन्न राज्यों से आए भक्त अपनी संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं। कहीं लोकनृत्य होता है, तो कहीं पारंपरिक गीत गाए जाते हैं। यह मेला भारत की विविधता में एकता का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है।

 

नवरात्र में विशेष आयोजन

शारदेय नवरात्र के दौरान मैहर में भक्तों की भीड़ लाखों में पहुँचती है। मंदिर और पूरा शहर देवी भक्ति में डूबा रहता है।

  • अखण्ड ज्योति और दुर्गा सप्तशती पाठ
  • कुमारी पूजन एवं देवी अर्चना
  • ढोल-नगाड़ों, शंखध्वनि और देवी भजनों से गूंजता वातावरण
  • भक्ति भाव से रोते-गाते, गाते-नाचते श्रद्धालु

मेले का आकर्षण

मैहर का नवरात्र मेला केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और मेल-मिलाप का प्रतीक है।

  • सांस्कृतिक कार्यक्रमलोकनृत्य, भजन-कीर्तन, कलाकारों के प्रदर्शन
  • बाज़ारपूजन सामग्री, खिलौने, मिठाइयाँ और स्थानीय हस्तशिल्प
  • मनोरंजनझूले, खेल और बच्चों के लिए विशेष आकर्षण



चाक चौबंद व्यवस्था के बीच मैहर का शारदेय नवरात्र मेला प्रारंभ।आज दिनांक 22.09.2025 दिन  सोमवार नवरात्रि के प्रथम दिवस की दर्शनार्थियों की  संख्या प्रातः 9 बजे तक 58,427 आकलित की गई है।

श्रद्धालुओं के लिए यात्रा सुझाव

  1. भीड़ को देखते हुए सुबह जल्दी मंदिर पहुँचें
  2. जिनके लिए सीढ़ियाँ कठिन हैं, वे रोपवे का उपयोग करें
  3. नवरात्र के दौरान होटल और धर्मशालाएँ पहले से बुक कर लें।
  4. श्रद्धा के साथ-साथ स्थानीय लोक संस्कृति का आनंद लेना न भूलें

 

धार्मिक पर्यटन का केंद्र

आज मैहर का शारदेय नवरात्र मेला धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हर साल यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिससे यह स्थल न केवल आस्था का बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था का भी केंद्र बन चुका है।


मैहर का शारदेय नवरात्र मेला केवल पूजा और भक्ति का उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक एकता का प्रतीक है। माँ शारदा के जयघोष से गूंजता यह मेला भक्तों के हृदय में भक्ति, शक्ति और आनंद का संचार करता है।

 

Thursday, September 18, 2025

✍️ पाठक और लेखक की भूमिका: एक विचारशील संवाद

 साहित्य, लेखन और पठन का संसार एक ऐसा मंच है जहाँ लेखक और पाठक दो मुख्य स्तंभ होते हैं। ये दोनों केवल एक-दूसरे के पूरक हैं, बल्कि एक-दूसरे के अस्तित्व को भी सार्थक बनाते हैं। लेखक विचारों को शब्दों में ढालता है, और पाठक उन शब्दों को अर्थ देता है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि लेखक और पाठक की भूमिका क्या होती है, और कैसे ये दोनों मिलकर ज्ञान, संवेदना और समाज को आकार देते हैं।

 

🖋️ लेखक की भूमिका

लेखक वह होता है जो अपने अनुभव, कल्पना, विचार और भावनाओं को शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। उसकी लेखनी समाज को दिशा देती है, सोच को प्रेरित करती है और भावनाओं को अभिव्यक्ति देती है।

लेखक की प्रमुख भूमिकाएँ:

  1. विचारों का सृजनकर्ता: लेखक नए विचारों को जन्म देता है, जो समाज में बदलाव ला सकते हैं।
  2. समाज का दर्पण: लेखक अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उजागर करता है और पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है।
  3. संवेदनाओं का संप्रेषक: लेखक भावनाओं को इस तरह व्यक्त करता है कि पाठक उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं।
  4. ज्ञान का प्रसारक: लेखक अपने लेखन से शिक्षा, इतिहास, विज्ञान, दर्शन आदि विषयों को जन-जन तक पहुँचाता है।

लेखक की लेखनी में जितनी गहराई और ईमानदारी होती है, उतना ही उसका प्रभाव पाठकों पर पड़ता है।

 

📖 पाठक की भूमिका

पाठक वह है जो लेखक की रचना को पढ़ता है, समझता है और उससे संवाद करता है। पाठक केवल उपभोक्ता नहीं होता, बल्कि वह लेखक की रचना को जीवंत बनाता है।

पाठक की प्रमुख भूमिकाएँ:

  1. सक्रिय ग्रहणकर्ता: पाठक लेखक के विचारों को ग्रहण करता है और उन्हें अपने दृष्टिकोण से देखता है।
  2. प्रतिक्रिया देने वाला: पाठक की प्रतिक्रिया लेखक को सुधारने, प्रेरित करने और आगे बढ़ने में मदद करती है।
  3. साहित्य का संरक्षक: पाठक ही वह शक्ति है जो साहित्य को जीवित रखता है और उसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाता है।
  4. विचारों का विस्तारक: पाठक लेखक के विचारों को अपने जीवन में लागू करता है और उन्हें समाज में फैलाता है।

एक जागरूक पाठक लेखक की रचना को केवल पढ़ता है, बल्कि उस पर विचार करता है, चर्चा करता है और उसे आगे बढ़ाता है।

 

🔗 लेखक और पाठक का संबंध

लेखक और पाठक का संबंध एक संवादात्मक प्रक्रिया है। यह एकतरफा नहीं होता। लेखक लिखता है, पाठक पढ़ता है, और फिर प्रतिक्रिया देता है। यह प्रतिक्रिया लेखक को नए विचारों की ओर प्रेरित करती है।

यह संबंध:

  • सृजनात्मक होता हैजहाँ लेखक रचना करता है और पाठक उसे अर्थ देता है।
  • संवेदनशील होता हैजहाँ भावनाएँ और विचारों का आदान-प्रदान होता है।
  • सामाजिक होता हैजहाँ दोनों मिलकर समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं।

 

🔍 भूमिका की गहराई को समझते हुए

लेखन और पठन का संबंध केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह एक संवेदनशील और बौद्धिक संवाद है। लेखक विचारों को जन्म देता है, और पाठक उन्हें जीवन देता है। इस संबंध को समझने के लिए कुछ उदाहरणों पर नज़र डालते हैं।

 

🖋️ लेखक की भूमिका के उदाहरण

1. प्रेमचंदसमाज सुधारक लेखक

प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों जैसे गोदानकफन और निर्मला के माध्यम से समाज की कुरीतियों, गरीबी और स्त्री-विमर्श को उजागर किया। उन्होंने ग्रामीण भारत की सच्चाई को शब्दों में ढालकर पाठकों को सोचने पर मजबूर किया।

➡️ यहाँ लेखक की भूमिका समाज का दर्पण बनने की है।

2. हरिवंश राय बच्चनभावनाओं के कवि

उनकी रचना मधुशाला ने जीवन, मृत्यु और संघर्ष को प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत किया। पाठकों ने इसे केवल कविता के रूप में पढ़ा, बल्कि जीवन-दर्शन के रूप में अपनाया।

➡️ यहाँ लेखक की भूमिका भावनाओं को गहराई से व्यक्त करने की है।

 

📖 पाठक की भूमिका के उदाहरण

1. पाठक की प्रतिक्रिया से लेखक को दिशा मिलती है

जब अमृता प्रीतम ने "रसीदी टिकट" लिखा, तो पाठकों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं ने उस आत्मकथा को एक ऐतिहासिक दस्तावेज बना दिया। पाठकों ने केवल उसे पढ़ा, बल्कि उसके अनुभवों को महसूस किया।

➡️ यहाँ पाठक लेखक की आत्मा से जुड़ता है और रचना को जीवंत बनाता है।

2. पाठक के दृष्टिकोण से रचना का नया अर्थ

रवींद्रनाथ टैगोर की रचना गीतांजलि को भारत में एक आध्यात्मिक ग्रंथ की तरह पढ़ा गया, जबकि पश्चिम में इसे एक दार्शनिक कविता संग्रह माना गया। यह दर्शाता है कि पाठक की पृष्ठभूमि और दृष्टिकोण रचना को नया अर्थ दे सकते हैं।

➡️ यहाँ पाठक की भूमिका अर्थ निर्माण की है।

 

🔗 लेखक-पाठक संबंध का उदाहरण

"मालगुड़ी डेज़" – आर.के. नारायण और उनके पाठक

आर.के. नारायण ने मालगुड़ी जैसे काल्पनिक शहर को इतनी सजीवता से लिखा कि पाठकों ने उसे वास्तविक मान लिया। पाठकों की कल्पना ने उस शहर को जीवंत बना दिया।

➡️ यह संबंध लेखक की कल्पना और पाठक की संवेदना का मेल है।

 

🪔 निष्कर्ष

लेखक और पाठक की भूमिका एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। लेखक बिना पाठक के अधूरा है, और पाठक बिना लेखक के। दोनों मिलकर साहित्य, संस्कृति और समाज को समृद्ध बनाते हैं। एक अच्छा लेखक वही होता है जो अपने पाठकों को समझता है, और एक अच्छा पाठक वही होता है जो लेखक की भावनाओं को महसूस करता है।

इस संवाद को जीवित रखना हम सभी की जिम्मेदारी हैचाहे हम लेखक हों या पाठक।