Pages

Friday, August 19, 2011

मेरा परिश्रम


न अधिक ऊँचाईयो में उड़ सकेगा,

न धरा के बन्धनों में बंध सकेगा ,

मिले कोई भी दिशा,वह बढ़ चलेगा,

संग मेरे क्षितिज तक,मेरा परिश्रम !

No comments:

Post a Comment