जो पूरी ना हो कभी ऐसी आस छोड़ गया !
यही करम नवाजी मुझ पर काम है क्या ,
की खुद तो दूर है यादे पास छोड़ गया !!
जो ख्वाहिसे थी कभी ,हसरतो में डाल गई अब
मेरे लबो पे वो एक लफ्ज "कास" छोड़ गया
ये मेरा जर्फ़ है इक रोज उसने मुझसे कहा
के आम लोगो में एक तुझको " खास "छोड़ गया
बहारो से मुझे इसलिए नफरत है
इन्ही ऋतओ में मुघे वो उदास छोड़ गया !
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