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Thursday, April 7, 2011

73 बर्ष का सुपरस्टार


छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए

73 बर्ष का सुपरस्टार

जिसके आंगे झुकी सरकार  

प्रधान मंत्री ने लिखा पत्र 
पद्म श्री, पद्म भूसन,कृषि भूसन सम्मान ,World Bank's 2008 Jit Gill Memorial Award for Outstanding Public Service सम्मान से सम्मानित  

किसान बापट बाबुराव हजारे






भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं. लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके.



अन्ना हजारे गांधीवादी विचारधारा पर चलने वाले एक समाजसेवक हैं जो किसी राजनीतिक पार्टी की जगह स्वतंत्र रुप से काम करते हैं. अन्‍ना हजारे का वास्‍तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है. 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा. पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे. अन्ना हजारे के छह भाई हैं. दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी. अन्ना का पुश्‍तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था. दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया.

अन्ना हजारे का बचपन बेहद गरीबी में बीता. उनके परिवार की गरीबी को देख कर अन्ना हजारे की बुआ उन्हें अपने साथ मुंबई ले गईं. अन्ना हजारे ने मुंबई में सातवीं तक पढ़ाई की और फिर कुछ पैसे कमाने के लिए एक फूल की दुकान पर काम किया. साठ के दशक में अन्ना ने भी अपने दादा की तरह फौज में भर्ती ली और बतौर ड्राइवर पंजाब में काम किया. फौज में काम करते हुए अन्ना पाकिस्तानी हमलों से बाल-बाल बचे थे.

इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्‍तक कॉल टू द यूथ फॉर नेशनखरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी. उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा और उनके शब्दों को अपने जीवन में ढ़ाल लिया. अन्ना हजारे ने इसके बाद 1970 में आजीवन अविवाहित रहने का निश्चय किया. 1975 में उन्होंने फौज की नौकरी से वीआरएस ले लिया और गांव में जाकर बस गए.

अन्ना हजारे का मानना था कि देश की असली ताकत गांवों में है और इसीलिए उन्होंने गांवो में विकास की लहर लाने के लिए मोर्चा खोल दिया. यहां तक की उन्होंने खुद अपनी पुस्तैनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दे दी.

अन्ना हजारे ने 1975 से सूखा प्रभावित रालेगांव सिद्धि में काम शुरू किया. वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायो गैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा के उपयोग से गांव को स्वावलंबी और समृद्ध बना दिया. यह गांव विश्व के अन्य समुदायों के लिए आदर्श बन गया है.

1998 में अन्ना हजारे उस समय अत्यधिक चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने बीजेपी-शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज उठाई थी. और इसी तरह 2005 में अन्ना हजारे ने कांगेस सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रेशर डाला था. अन्ना की कार्यशैली बिलकुला गांधी जी की तरह है जो शांत रहकर भी भ्रष्टाचारियों पर जोरदार प्रहार करती है.

अन्ना हजारे की समाजसेवा और समाज कल्याण के कार्य को देखते हुए सरकार ने उन्हें 1990 में पद्मश्री से सम्मानित किया था और 1992 में उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

आज अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं और वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका है. मीडिया, प्रेस और नेता सबका ध्यान अन्ना हजारे पर है. हमेशा लाइम लाइट से दूर रहने वाले अन्ना हजारे आमरण अनशन पत क्या बैठे कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई है. जिस बिल को कल तक सरकार अपने फायदे के लिए लाने की सोच रही थी उसकी असलियत दिखा अन्ना ने जता दिया कि आज भी देश में कुछ लोग हैं जो भारत की चिंता करते हैं.

कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा

मैं जानता हूँ तू लिबास पसंद है लेकिन,मैं बेनक़ाब सही, बेनक़ाब रहने दे।
मैं बाग़ी नहीं पर उसके समझने के लिए,मेरी आंखों मे जरा इंक़लाब रहने दे।


आप भी हल्ला बोल के लिए तैयार हो जाइये  ! 

                          Vivek Anjan Shrivastava 

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