आज के कॉर्पोरेट जगत में तकनीकी ज्ञान जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence)। हाल ही में आयोजित Learning Fest में मैंने एक अनोखा तरीका सीखा—थिएटर-आधारित रोल प्ले और वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित सिमुलेशन।
इस अनुभव ने यह समझाया कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता केवल सिद्धांत नहीं है, बल्कि इसे जीना और कार्यस्थल पर लागू करना ही असली कला है।
- स्व-जागरूकता: अपनी भावनाओं को पहचानना और नियंत्रित करना।
- सहानुभूति: दूसरों की भावनाओं को समझना और सम्मान देना।
- संचार कौशल: टीम में विश्वास और सहयोग बढ़ाना।
ऐसे सत्र हमें यह सिखाते हैं कि नेतृत्व केवल निर्णय लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि लोगों को जोड़ने और प्रेरित करने की क्षमता भी उतनी ही अहम है।
आपके विचार? क्या आपने कभी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ाने के लिए कोई रचनात्मक तरीका अपनाया है?
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