ज़िंदगी की खिड़की से झांकते हुए हम कितनी कहानियाँ देखते हैं—कुछ अधूरी, कुछ पूरी, कुछ सिर्फ़ ख़्वाबों में। खिड़की सिर्फ़ एक वास्तु नहीं, यह उम्मीद का दरवाज़ा है, तन्हाई का साथी है और यादों का पुल है। आइए पढ़ते हैं 20 नए शेर जो इस एहसास को शब्दों में ढालते हैं:
1.
खिड़की
से आती है धूप
का एक टुकड़ा
जैसे उम्मीद ने दरवाज़ा खटखटाया
हो
2.
उस खिड़की पर अब भी
लटकी है परछाईं
जिसे छोड़कर तुम गए थे
बिना कुछ कहे
3.
खिड़की
खुली रहे तो हवा
भी कहानी कहती है
बंद हो जाए तो
ख़ामोशी का राज़ गहरा
हो जाता है
4.
खिड़की
के पार जो दिखता
है, वो सच नहीं
होता
सच तो वही है
जो दिल के भीतर
छुपा होता है
5.
रात
भर खिड़की से झांकता रहा
चाँद
जैसे किसी का इंतज़ार
करता हो बेआवाज़
6.
खिड़की
से आती है बारिश
की ख़ुशबू
यादों का मौसम फिर
से ताज़ा हो गया
7.
खिड़की
के शीशे पर जमी
धूल ने कहा
कितने मौसम गुज़र गए,
कोई दस्तक नहीं आई
8.
खिड़की
से आती है परिंदों
की आवाज़
जैसे कोई ख़्वाब उड़कर
कमरे में उतर आया
हो
9.
खिड़की
के पार धूप है,
भीतर अँधेरा
ज़िंदगी भी कुछ ऐसी
ही पहेली लगती है
10.
खिड़की
से झांकती है सड़क की
ख़ामोशी
जैसे शहर ने अपनी
साँसें रोक ली हों
11.
खिड़की
पर टिके हुए हाथों
ने कहा
कभी बाहर भी देखो,
अंदर ही क्यों खोए
हो
12.
खिड़की
से आती है बचपन
की हँसी
जब बारिश में काग़ज़ की
नाव तैरती थी
13.
खिड़की
के पर्दे हिलते हैं जब हवा
आती है
जैसे कोई पुरानी याद
दस्तक देती है
14.
खिड़की
से आती है सूरज
की पहली किरण
जैसे किसी ने अँधेरे
को हराने का वादा किया
हो
15.
खिड़की
के पार दिखता है
एक रास्ता
पर मंज़िल अब भी दिल
के भीतर छुपी है
16.
खिड़की
से आती है चाँदनी
की ठंडी छुअन
जैसे किसी ने तन्हाई
को गले लगाया हो
17.
खिड़की
के पार दिखता है
एक पेड़
जिसने हर मौसम में
सब्र सीखा है
18.
खिड़की
से आती है दूर
की सरगम
जैसे कोई अधूरी धुन
पूरी होने को है
19.
खिड़की
के पार दिखता है
आसमान
पर उड़ान का हौसला भीतर
से आता है
20.
खिड़की
से आती है एक
हल्की सी रोशनी
जैसे अँधेरे ने हार मान
ली हो
निष्कर्ष:
खिड़की सिर्फ़ बाहर की दुनिया
नहीं दिखाती, यह भीतर की
दुनिया को भी उजागर
करती है। हर खिड़की
एक कहानी है, हर झरोखा
एक एहसास।
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