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Wednesday, April 30, 2025

'मैला आँचल' फिणीश्वरनाथ रेणु Book Review

 नमस्ते! 'मैला आँचल' फिणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित एक कालजयी हिंदी उपन्यास है। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उस दौर के ग्रामीण जीवन, सामाजिक संरचना, और बदलते परिवेश का जीवंत चित्रण है।



कहानी का सार:

'मैला आँचल' बिहार के पूर्णिया जिले के मेरीगंज नामक एक पिछड़े गाँव की कहानी कहता है। उपन्यास में स्वतंत्रता के बाद गाँव में आने वाले बदलावों, राजनीतिक चेतना के उदय, जातिवाद, अंधविश्वास, और प्रेम की जटिलताओं को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

मुख्य पात्रों में डॉ. प्रशांत कुमार हैं, जो गाँव में मलेरिया उन्मूलन के लिए आते हैं। उनके माध्यम से लेखक गाँव की समस्याओं और लोगों के जीवन को करीब से दिखाते हैं। इसके अलावा, बलदेव, कालीचरण, मंगला, और कमली जैसे कई अन्य जीवंत पात्र हैं, जिनकी अपनी-अपनी कहानियाँ हैं और जो गाँव के सामाजिक ताने-बाने को बुनते हैं।

समीक्षा:

  • ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण: रेणु ने मेरीगंज गाँव के परिवेश, लोगों की भाषा, उनके रीति-रिवाजों और उनकी मानसिकता को इतने जीवंत ढंग से प्रस्तुत किया है कि पाठक स्वयं को उस गाँव का हिस्सा महसूस करने लगता है। लोकगीतों, मुहावरों और स्थानीय बोलियों का प्रयोग उपन्यास को और भीAuthentic बनाता है।
  • सामाजिक और राजनीतिक चेतना: उपन्यास स्वतंत्रता के बाद गाँव में आ रहे सामाजिक और राजनीतिक बदलावों को दर्शाता है। जमींदारी प्रथा का अंत, राजनीतिक दलों का उदय, और चुनावों का गाँव के लोगों के जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव बखूबी दिखाया गया है। जातिवाद और सामाजिक असमानताएँ भी उपन्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • मानवीय भावनाओं की गहराई: 'मैला आँचल' प्रेम, करुणा, ईर्ष्या, द्वेष जैसी मानवीय भावनाओं को बड़ी गहराई से चित्रित करता है। विभिन्न पात्रों के बीच के जटिल रिश्ते और उनकी व्यक्तिगत कहानियाँ पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं।
  • भाषा और शैली: रेणु की भाषा सरल लेकिन प्रभावशाली है। उनकी वर्णन शैली इतनी आकर्षक है कि पाठक कहानी में खो जाता है। उन्होंने आंचलिक भाषा का प्रयोग करते हुए भी साहित्यिक गरिमा बनाए रखी है।

निष्कर्ष:

'मैला आँचल' हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण कृति है। यह न केवल एक मनोरंजक कहानी है, बल्कि यह उस दौर के ग्रामीण भारत का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी है। यदि आप भारतीय ग्रामीण जीवन, सामाजिक बदलाव और मानवीय भावनाओं की गहराई को समझना चाहते हैं, तो यह उपन्यास आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है। यह आपको हंसाएगा, रुलाएगा और सोचने पर मजबूर करेगा।

Tuesday, April 29, 2025

अक्षय तृतीया

  

अक्षय तृतीया 

अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसे अक्षय तीज भी कहा जाता है और यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को शुभ और पवित्र माना जाता है और इसे सर्वसिद्धि मुहूर्त भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य सफल होते हैं।



अक्षय तृतीया के महत्व:

  1. धार्मिक महत्व: इस दिन को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इसी दिन महाभारत का लेखन भी प्रारंभ हुआ था।
  2. दान और पुण्य: अक्षय तृतीया के दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। लोग इस दिन अन्न, वस्त्र, जल और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करते हैं।
  3. विवाह और नए कार्य: इस दिन को विवाह, गृह प्रवेश, और नए व्यापार की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। बिना मुहूर्त देखे भी इस दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
  4. सोने और चांदी की खरीदारी: अक्षय तृतीया के दिन सोने और चांदी की खरीदारी को भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं अक्षय (अविनाशी) होती हैं।

 

अक्षय तृतीया की पूजा विधि क्या है?

अक्षय तृतीया की पूजा विधि सरल और प्रभावी होती है। यहाँ एक सामान्य पूजा विधि दी गई है:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी पर नहीं जा सकते तो घर पर ही स्नान करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और वहाँ एक चौकी रखें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  3. मूर्ति स्थापना: चौकी पर माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु, भगवान गणेश और कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करें। साथ में सोना-चांदी और जौ रखें।
  4. गणेश पूजा: सबसे पहले गणेश जी की वंदना करें और उन पर अक्षत, सिंदूर, सुपारी, नारियल, धूप, दीप, चंदन, दूर्वा, पान, फूल, फल, मोदक आदि चढ़ाएं।
  5. लक्ष्मी पूजा: माता लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें कुमकुम, अक्षत, कमलगट्टा, माला, हल्दी, धूप, दीप, कमल का फूल, लाल गुलाब का फूल आदि अर्पित करें। मखाने की खीर बनाकर भोग लगाएं।
  6. कुबेर पूजा: कुबेर देवता की पूजा करें। उन्हें अक्षत, कमलगट्टा, इत्र, लौंग, चंदन, दूर्वा, इलायची, नैवेद्य, फल, सुपारी, धनिया, फूल आदि अर्पित करें।
  7. मंत्र जाप: माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कनकधारा स्तोत्र या श्री सूक्त का पाठ करें। साथ ही कुबेर चालीसा और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  8. आरती और प्रसाद: अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें

 

अक्षय तृतीया पर क्या खास भोग लगाना चाहिए?

अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख भोग दिए गए हैं जो इस दिन अर्पित किए जा सकते हैं:

  1. दूध-चावल की खीर: दूध और चावल से बनी खीर को माता लक्ष्मी का प्रिय भोग माना जाता है। इसमें केसर, इलायची और मेवे डालकर इसे और भी स्वादिष्ट बनाया जा सकता है
  2. सफेद मिठाइयाँ: सफेद मिठाइयाँ जैसे रसगुल्ला, पेड़ा, मलाई बर्फी, नारियल की बर्फी आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है। सफेद रंग शांति और समृद्धि का प्रतीक है 
  3. नारियल और नारियल से बनी मिठाई: नारियल और नारियल से बनी मिठाई जैसे नारियल लड्डू या बर्फी अर्पित करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। नारियल को श्रीफल कहा जाता है, जो लक्ष्मी का फल माना जाता है 
  4. मखाना: मखाना को भी माता लक्ष्मी का प्रिय भोग माना जाता है। इसे खीर या अन्य मिठाई में मिलाकर अर्पित किया जा सकता है.

 


अक्षय तृतीया पर कई धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएँ निभाई जाती हैं, जो इस दिन को और भी पवित्र और शुभ बनाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख अनुष्ठान दिए गए हैं:

  1. गंगा स्नान: इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि गंगा नदी पर नहीं जा सकते, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें 
  2. दान और पुण्य: अक्षय तृतीया के दिन दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन अन्न, वस्त्र, जल, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना चाहिए। विशेष रूप से जल से भरे मिट्टी के पात्र का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है
  3. व्रत और पूजा: इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। विष्णु सहस्रनाम या भगवद गीता का पाठ करना भी शुभ माना जाता है 
  4. नए कार्यों की शुरुआत: अक्षय तृतीया को नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, और नए व्यापार की शुरुआत की जा सकती है 
  5. सोना और चांदी की खरीदारी: इस दिन सोना और चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं अक्षय (अविनाशी) होती हैं और समृद्धि लाती हैं 

इन अनुष्ठानों को करने से अक्षय तृतीया का महत्व और भी बढ़ जाता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

इस दिन के लिए कोई खास व्रत है?

अक्षय तृतीया व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ इस व्रत के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

  1. अक्षय पुण्य की प्राप्ति: अक्षय तृतीया के दिन व्रत और पूजा करने से अक्षय (अविनाशी) पुण्य की प्राप्ति होती है। यह पुण्य जन्म-जन्मांतर तक बना रहता है 
  2. धन और समृद्धि: इस दिन व्रत और दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में धन और समृद्धि बनी रहती है 
  3. सभी कार्यों के लिए शुभ दिन: अक्षय तृतीया को सर्वसिद्धि मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य सफल होते हैं। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, और नए व्यापार की शुरुआत की जा सकती है 
  4. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व: इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और महाभारत का लेखन भी प्रारंभ हुआ था। इसलिए इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी बहुत अधिक है 

इस व्रत को श्रद्धा और समर्पण से करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।