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Monday, April 21, 2025

यार पापा' पुस्तक समीक्षा

  

लेखक: दिव्य प्रकाश दुबे

परिचय: 'यार पापा' दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखित एक उपन्यास है जो बाप-बेटी के रिश्तों की आधुनिक कहानी को बयां करता है। यह कहानी मनोज साल्वे और उसकी बेटी साशा के इर्द-गिर्द घूमती है। मनोज एक सफल वकील है, लेकिन उसकी निजी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।

कहानी का सारांश: मनोज साल्वे एक प्रतिष्ठित वकील है, जिसकी तस्वीरें देश की प्रमुख मैगज़ीनों के कवर पर छप चुकी हैं। लेकिन उसकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ तब आता है जब उसकी लॉ की डिग्री फेक साबित होती है। इस घटना के बाद, मनोज की बेटी साशा उससे बात करना बंद कर देती है। उपन्यास में यह दिखाया गया है कि कैसे मनोज अपनी बेटी के साथ अपने रिश्ते को सुधारने की कोशिश करता है और अपने करियर को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास करता है

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मुख्य पात्र:

  • मनोज साल्वे: एक सफल वकील जो अपनी बेटी के साथ अपने रिश्ते को सुधारने की कोशिश करता है।
  • साशा: मनोज की बेटी, जो अपने पिता की सच्चाई जानने के बाद उससे दूर हो जाती है।

लेखक का उद्देश्य: दिव्य प्रकाश दुबे ने इस उपन्यास के माध्यम से बाप-बेटी के रिश्तों की जटिलताओं को उजागर किया है। उन्होंने दिखाया है कि कैसे एक छोटी सी गलती भी रिश्तों में बड़ी दरार पैदा कर सकती है और इसे सुधारने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है

भाषा और शैली: दिव्य प्रकाश दुबे की लेखनी सरल और प्रभावशाली है। उन्होंने कहानी को बहुत ही सहज और प्रवाहमयी तरीके से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक कहानी में खो जाते हैं। उनकी भाषा में एक खास तरह की मिठास और गहराई है जो पाठकों को बांधे रखती है

विशेषताएँ:

  • भावनात्मक गहराई: उपन्यास में भावनाओं की गहराई को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा गया है।
  • प्रेरणादायक: यह कहानी पाठकों को प्रेरित करती है कि वे अपने रिश्तों को सुधारने के लिए प्रयास करें।
  • समकालीन मुद्दे: उपन्यास में समकालीन मुद्दों को भी छुआ गया है, जैसे कि करियर और निजी जीवन के बीच संतुलन बनान

  •   'यार पापा' का मुख्य संदेश

यह है कि रिश्तों में ईमानदारी और संवाद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह उपन्यास बाप-बेटी के रिश्ते की जटिलताओं को उजागर करता है और दिखाता है कि कैसे एक छोटी सी गलती भी रिश्तों में बड़ी दरार पैदा कर सकती है।

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मनोज साल्वे की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी रिश्ते में विश्वास और समझदारी बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। जब मनोज की लॉ की डिग्री फेक साबित होती है, तो उसकी बेटी साशा उससे दूर हो जाती है। यह घटना हमें यह समझाती है कि रिश्तों में पारदर्शिता और ईमानदारी कितनी आवश्यक है

 

इसके अलावा, उपन्यास यह भी संदेश देता है कि किसी भी रिश्ते को सुधारने के लिए प्रयास और धैर्य की आवश्यकता होती है। मनोज अपनी बेटी के साथ अपने रिश्ते को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करता है, जो यह दर्शाता है कि सच्चे रिश्ते कभी हार नहीं मानते

निष्कर्ष: 'यार पापा' एक दिल को छू लेने वाली कहानी है जो बाप-बेटी के रिश्तों की जटिलताओं को बहुत ही संवेदनशीलता से प्रस्तुत करती है। यह उपन्यास उन सभी के लिए है जो अपने रिश्तों को सुधारने और उन्हें मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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