जीवन निर्झर में बहते किन
अरमानों की बात करूं
तुम्हीं बता तो प्रियवर मेरे
क्या भूलूं क्या याद करूं
भाव निचोड़ में कड़वाहट से
या हृदय शेष की अकुलाहट से
किस राग करूण का गान करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं
भ्रमित पंथ के मधुकर के संग
या दिनकर की आभा के संग
किस सौरभ का पान करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं
उजड़े उपवन के माली से
प्रस्तुत पतझड़ की लाली से
किस हरियाली की बात करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं
2 comments:
बहुत दिनों बाद कुछ पढ़ने की इच्छा हुई तो तुम्हारा ब्लॉक खोला यह कविता पढ़ी। मर्मस्पर्शी हृदयस्पर्शी भावों को सजाएं बेहद ही मन को लुभाने वाली, अपनी पीड़ा और बेचैनी को बयां करती कविताएं है 👌👍
👍
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