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Sunday, June 20, 2010

नज़र आ रहा है!



बड़ी मिन्नत से माँगा था ख़ुदा से तुझे,
आज वो भी कुछ लुटा सा नज़र आ रहा है!



बनवाने वाले ने ताज़महल बनवा डाला,
मुझे तो वो बस पत्थर सा नज़र आ  रहा है!



तुम ग़ज़ल लिख लो, शेर-ओ-शायरी कर लो,
मेरी नज़्में ना समझो तो अपने दिल की ख़बर पुछ लो!




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