अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....
सीमाएं अपनी जानता हूँ मैं
जबतक सांस है दिल में आस है।
काम मेरा रुका कभी भी नहीं
उस पर मुझे इतना विश्वास है।
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