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Friday, April 6, 2012

कोशिश भी करते है

लीक से हटकर चलने की कोशिश भी करते है

थोडा बहुत भीड़ में पहचान हम भी रखते है

ज़माने से कह दो संभलकर उगलियाँ उठाये

अपनी जुबान में तलवार हम भी रखते है

सोचते है जाने से पहले लोगो की सोच बदल जाये

जिंदगी के किस्तों का हिसाब हम भी रखते  है

हम वो नही जो वक्त के साथ,अपने  रिश्ते,बदल जाये 

दिल से रिश्तो को निभाने का रिवाज हम भी रखते है

 

जो बेवफा है हो सकता है वो किसी और के हो जाये

अंजन हैआँखों में बसने का ख्याल हम भी रखते है

 

अंजन ..... कुछ दिल से 

 

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4 comments:

Mayank said...

wah wah ..

Naval said...

subhan allaah

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

आके होसला अफजाई के लिए धन्यवाद !

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

शुक्रियाँ दोस्त !

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