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Friday, March 16, 2012

‘अंजन' कुछ दिल से….मेरा पहला काव्य संग्रह



अंजन काजल का समानार्थी शब्द है !  काजल एक श्याम पदार्थ है जो धुंए की कालिख और तेल तथा कुछ अन्य द्रव्य को मिलाकर बनाया जाता है ।इसका उपयोग पारम्परिक हिन्दू श्रृंगार मेंआँखों में ,व्यापक रूप से होता रहा है | काजल और अंजन के द्वारा नेत्रों   में श्यामता ,विशालता एवं प्रभावपूर्ण कटाक्ष उत्पन्न किया जाता है
इसी शब्द पर आधारित है यह मेरा पहला  काव्य संग्रह  
 'अंजन' कुछ दिल से…. 

कहने को तो अंजन  एक श्याम पदार्थ है जो धुंए की कालिख से बनता है और देखने में भी अच्छा नहीं है ,लेकिन अगर अंजन को सही जगह ( आँखों ) पर सही तरीके से लगाया जाये तो सुन्दर बनाने में कोई कमी नहीं रखता है | 

ऐसे  ही यह समाज अंजन की तरह  बुरी चीजो से मिलकर बना है,इस समाज में अवसाद,निराशा,विस्वासघात ,धोखेबाजी,दुश्मनी आदि चीजे है |इसके विपरीत अगर इनको हम अंजन की तरह ले और आत्मविश्वास,प्यार,दोस्ती को अपनाये तो हमारा मन भी  निरंजन हो जाएगा बेवफाई,गिले शिकवे भूलकर अगर हम मन शांत करे तो परम आनंद प्राप्त होगा | 

इसलिए इन्ही बिन्दुओ जीवन,आत्म-विस्वास ,जिंदगी ,प्यार ,बेवफा,दोस्त,गाव,यादें,धोखा और आस पर यह काव्य संग्रह आधारित है | मेरी अधिकाँश रचनाये बाकी रचनाकारों की तरह इश्क परस्त हैं इसलिए उनमें आपको यादेंरातेंनींदख्वाबतनहाईअँधेराउदासी तो मिलेंगी ही साथ ही ज़माने के बारे में भी विचार देखने को मिलेंगे
सोचते है जाने से पहले लोगो की सोच बदल जाये,
जिंदगी के किस्तों का हिसाब हम भी रखते  है |
हम वो नही जो वक्त के साथ, अपने  रिश्ते बदल जाये ,
दिल से रिश्तो को निभाने का रिवाज हम भी रखते है ||

मूल्यों का बिखराव मुझे गहरे तक आहत करता है | मेरी व्यथा और तल्खियाँ इस संग्रह की रचनाओ से झांकती है;परन्तु इन तल्खियो में न तो हताशा है और न  परिस्थितियों के सामने समर्पण का पराजय बोध |
तस्वीर के तमाम उदास और धुंधले रंगों का बयान तो बड़े ईमानदारी के साथ करने की कोशिश की है  ,पर साथ ही इस तस्वीर को बदलना भी चाहता हूं   

सोलह रुपये में फुटपातो की पहचान कैसे हो  जाये
अंजन' कुछ करें गरीबी की लक्ष्मण रेखा पार हो जाये

मन में  आत्मविश्वास और आशा हमेशा ही रही जो कि शब्दों से बयान की है 

पंखो के परवाजो को अब जल्द शिखर मिल जाएगा
चाहे लाख तूफा आये दिया और प्रखर जल जाएगा


प्यार का स्वरुप बखान करने की जरूरत नहीं होती वह तो खुद खुशबू की तरह फ़ैल जाता है 


गाव- गाव,गली-मोहल्ले,अब तेरे मेरे कहानी-किस्से है
सारा जग तो एक अंजन है ,पर अंजन  तेरा दीवाना है

प्यार को नाम भी दिया ,

दिल की कलम प्यार की स्याही रख्खा था
मैंने अपने सनम का नाम माही रख्खा था

बेवफाई और गम हर इन्सान का अभिन्न अंग रहा है जाहिर है मेरा भी है

सब कुछ था लाश में बिना दिल के
शायद जीवन भी प्यार में कम गया
बिछड़ने का आँखों में अहसास था
अंजन वो जब दूर गया नम गया

जिंदगी में कसमकस हमेशा बनी रही ,या तो बहुत कुछ मिल गया या फिर छूट गया है | कुछ सपने पूरे हो गए या कई मुकाम अभी बाकी है

हमेशा  नए लोग मिलते रहे ,घर बनाना ,बच्चो को पठाना ,काम में वफ़ादारी,छोटे छोटे सपने और जिंदगी से झूझते लोग | इन्ही सब लोगो से मुझे रचना की प्रेरणा मिलती रही|

मुझे मिले ना मिले पर हसी उनके साथ रहे जो मेरे साथ हैं 
मै वो ना हो सका ,जो वो हो गए
इन्सान से वो खुदा हो गए
सलाम ऐसे  लोगो को ,जो,
कुछ अलग कर सबसे जुदा हो गए

इस संग्रह कि रचनाओ को संभवतः परंपरागत काव्य के तर्कों में शायद न ढाला जा सके,इसलिए कुछ लोग इसमे शिल्पगत परिवर्तन सुझा सकते है | मुझे शब्द शिल्पी तथा साहित्य का निष्णात ज्ञाता होने का भ्रम नहीं है मैंने अपने अनुभवों को,अपमी संवेदनाओ को  और अपने मन की कसक को बड़ी सहजता के साथ व्यक्त करने की कोशिश की है

हम पर तिरछी नजर रहती है सबकी
क्यों डरे, हम थोड़े किसी की जागीर हैं
थोडा ही लिख पाते है और क्या करें
हम अंजन हैं ,थोड़े ना कोई मीर  हैं

क्रमश:……

                                                                   Anjan...

14 -फरवरी -2012, सतना                  विवेक अंजन श्रीवास्तव


link: http://tiny.cc/0hrgbw

16 comments:

Anonymous said...

वह भाई रचनाओ ने दिल को छु लिया !
राम नरेश तिवारी रीवा म.प्र.

Anonymous said...

वाह श्रीवास्तव जी !
शायर की खूबी ये होती है की वो रोजमर्रा के हालात को अपनी नज़र से आंक कर उसे अपने शेरों में ढालता है.अब बरसों से हम सब की ज़िन्दगी में, दुनिया में, वोही सब कुछ होता आया है जो अब हो रहा है, लेकिन उसी होने को एक नए अंदाज़ से पेश करने का ढंग ही हर शायर को दूसरे से अलग करता है!

हम पर तिरछी नजर रहती है सबकी
क्यों डरे, हम थोड़े किसी की जागीर हैं
थोडा ही लिख पाते है और क्या करें
हम अंजन हैं ,थोड़े ना कोई मीर हैं

मन प्रशन्न हो गया !
एक प्रति जरूर हम भी लेंगे !
शुभ कामनाये !
मुकेश गौतम
कटनी वाले !

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

वक्त कैसा भी आए, खुद पर विश्वास करें
अंजन आओ, एक अलग, शुरुआत करें

सही है भाई पहली पुस्तक बधाई हो !

संग्राम पटनायक
जमशेदपुर

ALOK SAPRE said...

वह विवेक
आप का काव्य संग्रह पढ़ा, जैसे विराट कोहली के पहले ही शोट से पता चल गया था की वोह कोह बड़ा रचने जारहे हैं.
आप की प्रथम पृष्ठ की पंक्तियों को ही पथ कर मुझे लग गया था की आज कुछ दमदार पढने को मिलेगा|
दोस्तों सबसे नाप-तोल कर बोलिए,बात बहुत लगती है ,
अंजन को हमेशा प्यार से रखिये, नजर नही लगती है |
बस यही कहना चाहूँगा की आप की लेखनी को किसी की नजर न लगे|

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

thanks sapre ji !

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

तहे दिल से शुक्रिया !

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

तहे दिल से शुक्रिया !

Mayank said...

hello विवेक ..
मेने तुम्हारी ये बुक पड़ी .. बहुत ही अच्छा लिखा है .. पड़ कर एसा लगा जैसे तुमने अपना दिल उतार के रख दिया हो ...
तुम्हारी आगली बुक का इंतजार रहेगा मुझे...

All the best...

Mayank Dewangan

Abhijeet said...

Dear Vivek,

Bahot hi achhi likhai hai...
Pure jivananubhav ka ras isme chhaya hua hai..!

Best wishes for this and forthcoming books.

Regards,
Abhijeet

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद !
आशां है आपकी नजरो में खरे उतारे हमेशा

Anonymous said...

Hi vivek Anjan,

I have read your book and find it so simple that even novice can understand it. It is very nice composition of thoughts in simple words. It is a must read for poetry lovers. You are keeping live hindy poetry.
Looking ahead for your new compositions..



जो सफ़र अख्तियार करते है,

वही मंजिल को पार करते है.

बस एक बार चलने का होसला तो रखिये,

ऐसे मुसाफिर का तो रस्ते भी इन्तेज़ार करते है.




All the best..

Ajeet Singh

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

उसके लिए तो कागज में लिख दिया
आपके लिए तो दिल में लिख लिया -

होसला-अफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

Anonymous said...

Hi Vivek,
I have read some poetry of your book....Its really heart touching & very practical....words that you have been used are very simple to understand and its mean a lot....very good book.......

सवार हो जय जब जूनून सर पर ,
की कुछ पाना है !
रह जाऐगा फिर क्या दुनिया मैं ,
जो हाथ नहीं आना है ||

Waiting for to your new creation.....

All the best..

Abhishek Tiwari

विवेक अंजन श्रीवास्तव said...

दोस्त कहता था खुद को, पर मुझे पढ़ ना सका
अंजन कुछ एसा लिख की सारे ज़माने को पढाया जाये

उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद !

Anonymous said...

are aapko pata hai....saturday ko mai book pad raha tha .....etna magan ho gaya ki......GAS pe dhoodh rakha tha.....jal gaya or etna jala ki sare kitchen mai dhua..dhua hi ho....gaya......koyla ban gaya...
Siv Kumar Mandra Pune

bhaskar said...

Kyu chupke se wo log utar jate hai dil me
Jinse kabhi kismat ke sitare nahi milte
pyar ke bhawar me ye keh ke chhod diya
ki kabhi nadiyo ke dono kinare nahi milte….


anjan kuch dil se....................
dil se nikli baat jo dil tk jati hai...........

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