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Wednesday, October 13, 2010

क्या-क्या बना दिया.


सब जल चुका है आग में बाकी है अब धुआं,
धुंए को तुमने आँख का काजल बना दिया.
बुझता हुआ चिराग क्या रौशन करे जहाँ,
तुमने उसी चिराग को सूरज बना दिया.
अपने तो बीच धार में, किश्ती डुबो गए,
तुम कौन हो कि हमको किनारे पे ला दिया.
अच्छे थे या बुरे थे, जैसे थे हम मगर,
ऐसे नहीं थे आपने, जैसा बना दिया.
गर तुम बुरा न मानो तो, एक बात पूँछ लूं,
क्या-क्या बनाओगे अभी, क्या-क्या बना दिया.

2 comments:

ZEAL said...

बुझता हुआ चिराग क्या रौशन करे जहाँ,
तुमने उसी चिराग को सूरज बना दिया.
अपने तो बीच धार में, किश्ती डुबो गए,
तुम कौन हो कि हमको किनारे पे ला दिया...

khushnaseeb hain aap.

.

Anonymous said...

अच्छे थे या बुरे थे, जैसे थे हम मगर,
ऐसे नहीं थे आपने, जैसा बना दिया.

kya khoob kaha hai.....

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