अंजन.... कुछ दिल से
अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....
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Tuesday, June 8, 2010
कदमों को चुम लेनाए खत,
ए खत,
जा कर
उनके हाथों को चुम लेना
अगर वो तुम्हें पढे तो
उनके होठों को चुम लेना,
खुदा ना करे
वो तुम्हें
फाडकर फेक दे,
तो गिरते वक्त उनके
कदमों को चुम लेनाए खत,
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