अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....
"वो करते हैं बात इश्क की ,पर इश्क के दर्द काउन्हें एहसास नहीं ,इश्क वो चाँद हैजो दिखता है सभी को ,पर उसे पानासभी के बस की बातनहीं .."
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