अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता और जीवन-कर्म के बीच की दूरी को निरंतर कम करने की कोशिश का संघर्ष....
यादों का बादल ,आँखें नम हैंजाने क्यों प्यासी मेरी नजर है शायद बादल अभी बरसा कम हैअनजानी सी क्यों झुकी तेरी नजर है ये नज़ारा क्यों नही तुझे नजर हैक्यों नही मेरी तरफ़ तेरी नज़र है प्यार को मेरे किसकी नज़र हैजो मुझसे दूर तेरी नज़र है !
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