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Sunday, March 21, 2010

मन पर अधिकार तुम्हारा है।

तन तो मेरा है लेकिन -
मन पर अधिकार तुम्हारा है।

मेरी साँसों में सुरभित ,
तेरी चाहत का चंदन है ;
कहने को तो ह्रदय हमारा ;
पर इसमें तेरी धड़कन है।

तेरी आंखों से जो छलके -
है वो प्यार हमारा है ।।

मेरे शब्द गीत के रखते
तेरी पीड़ा के स्पंदन ;
कलिकाए ही अनुभव करतीं
भ्रमरों के वो कातर क्रन्दन;

मैं वो मुरली की धुन हूँ -
जिसमें गुंजार तुम्हारा है॥

चाह बहुत है मिलने की -
अवकाश नहीं मिलता है ;
दोष नियति का भी कुछ है -
जो साथ नहीं नहीं मिलता है ;

सोम से शनि तक मेरा है -
लेकिन इतवार तुम्हारा है॥


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