तन
तो मेरा है, पर मन पर अधिकार तुम्हारा है।
हर धड़कन में बसी, बस एक पहचान तुम्हारा है।
मेरी
साँसों में महकती,
तेरी चाहत की चंदन-सी खुशबू है;
कहने को तो हृदय
मेरा है,
पर इसमें धड़कनें सिर्फ़ तेरे नाम की
गूंजती हैं।
तेरी
आँखों से जो छलकता
है —
वो प्रेम, वो अपनापन, बस
हमारा है।
मेरे
गीतों के हर शब्द
में,
तेरी पीड़ा की गूंज है
समाई;
कलिकाएँ भी महसूस करती
हैं,
भ्रमरों की वो मौन
रुलाई।
मैं
मुरली की वो धुन हूँ —
जिसमें हर स्वर तुम्हारा है।
मिलने
की चाह बहुत है,
पर समय की दीवारें
आड़े आती हैं;
कुछ दोष नियति का
भी है,
जो राहें हमें मिलाने से
कतराती हैं।
सोम
से शनि तक जीवन मेरा है —
पर इतवार सिर्फ़ तुम्हारा है।
No comments:
Post a Comment