प्यार...
क्या है यह?
सिर्फ़ एक लफ़्ज़ नहीं,
जिसे बाँध लिया जाए
किसी सीमा में,
और खत्म कर दिया जाए
उसकी अंतहीनता को।
प्यार...
कोई वस्तु नहीं,
यह तो एक एहसास है —
एक मौन आश्वासन,
जो धीरे-धीरे
दिल में उतरता है,
मुक्त गगन-सा विचरता है,
और शब्दों को कविता बना देता है।
प्यार...
नयनों में बसा एक सपना है,
जो अनुराग के रंगों से रंगा होता है।
यह चहकता है पक्षी-सा,
अंधेरों को उजालों से भरता है,
नदी-सा कल-कल करता
एक बूँद को सागर बना देता है।
प्यार...
मिलता है सिर्फ़
उस दिल की धड़कन पर,
जहाँ "मैं" से "तू" का सफ़र
एक हो जाता है।
जहाँ अस्तित्व की सीमाएँ मिट जाती हैं,
और काँटों भरी राह भी
फूलों-सी महकने लगती है।
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