Pages

Friday, October 2, 2009

जिंदगी... इक सच !

कहते है इक हसीन काँच है जिंदगी
जो कुछ सोचा था कल कभी हमने,
सच दरअसल वो आज है जिंदगी !

कहते है इक रुहानी राज है जिंदगी
कल तक था बंद मुठ्ठी के वज़्म पे
सच दरअसल वो आज है जिंदगी !

कहते है इक खयाल--ख्वाब है जिंदगी
कल तक बंद था पलको के सिरहाने कहीं
सच दरअसल वो आज है जिंदगी !

कहते है इक उस्मानी आवाज़ है जिंदगी
कल तक दबी थी वक्त के लफ्ज़ो में कहीं
सच दरअसल वो आज है जिंदगी !

   

 

 

No comments:

Post a Comment