Tuesday, June 3, 2025

जीवन: एक अबूझ पहेली

 अनंत पथ पर चलती साँसें,

जीवन एक रहस्य गहरा।
कभी धूप सी खिली मुस्कानें,
कभी घना अँधेरा।
जन्म से मृत्यु तक का सफ़र,
हर पल नया पाठ सिखाता।
गिरते-उठते, सीखते-सिखाते,
मनुष्य अपना मार्ग बनाता।
रिश्तों के धागों में उलझा,
प्रेम, मोह, माया का बंधन।
आशा-निराशा के झूलों पर,
झूलता रहता है मन।
सुख-दुख के मौसम आते-जाते,
कभी पतझड़, कभी बहार।
हर अनुभव एक सीख दे जाता,
खुलते जाते नए द्वार।
अर्थ की तलाश में भटकता,
क्या पाया, क्या खोया अंत में?
क्या यही है जीवन का सार,
या कुछ और है इसके चिंतन में?
शांत हो जब हृदय की धड़कन,
छूट जाए ये काया नश्वर।
स्मृतियों में शेष रहे कर्म,
क्या वही है जीवन का ईश्वर?
जीवन एक अग्नि परीक्षा,
हर पल स्वयं को पहचानना है।
अंधेरों से लड़कर ज्योति जलाना,
बस यही हमने जानना है।

No comments:

Post a Comment


आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव