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Friday, December 27, 2013

नए साल में कुछ नया हो

आप सभी को नए वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाये और ढेरो बधाइयाँ । ये बधाइयाँ नए वर्ष के आने के पहले इसलिए क्यों कि दो दिन बाद कुछ  कम्पनियां आपसे बधाई देने का भी पैसा मागेंगी, हम पहले से दे रहे है, फ्री का है ले लो कल मिले न मिले ! हब हर साल नया साल आता है, सब वही पुराना आता है और चला जाता है चलो इस बार कुछ नई कल्पना की है |

हम पिछले कई बरसों से दंगे, आगजनी, गोलीबारी, कत्ले-आम झेलते आ रहे है । कम से कम इस बरस तो ऐसा न हो और अगर कोई करता भी है तो पहले उनका बीमा कराए जो इनकी चपेट में आते हैं जिससे सरकार पर मुवावजे का बोझ न बढे !

प्रभु करे  सभी आतंकी मुख्य धारा में लौट आएँ। (मैं भारत सरकार से प्रार्थना करूँगा कि उन्हें नागरिकता दे और चुनाव लड़ने का अधिकार भी।) बड़े और दबंग देश कम से कम इस वर्ष तो दूसरों के मामले में टाँग अड़ाना बंद कर दें और दूर-दराज के छोटे-छोटे देशों को उनके हाल पर छोड़ दें। सबको अपने-अपने तरीके से जीने का हक है। इस साल से लोग भारतीय पेय ही सर उठा कर पियेंगे जिससे पेप्सी और कोला भारत से लौट जाएंगे । अब बाकी क्या बचा है। ग्लोबल कंपनियाँ कुछ उत्पाद और रोज़ी-रोटी कमाने के मौके तो स्थानीय बाबा या उत्पादकों के लिए भी छोड़ दें।चीन ने अब सब कुछ सुई से लेकर जहाज तक नकली और सस्ता बना और बेच कर दिखा दिया। कुछ दिन वे लोग आराम भी कर लें। (फुर्सत में इंडियन फ़िल्में देखें।) भारत को अब और डंपिंग ग्राउंड बनाने से बख़्शा जाए।

अमिताभ बच्चन और सचिन तेंडुलकर एक आध विज्ञापन दूसरों के लिए भी छोड़ दें। क्रिकेट को कम से कम एक वर्ष के लिए भारत में बैन कर दिया जाए ताकि हम दूसरे ज़रूरी काम भी निपटा सकें।अनिवासी भारतीय देश की संस्कृति, परंपरा और मिट्टी के लिए घड़ियाली आँसू बहाना बंद कर दें और बदले में अपने ज्ञान, अनुभव और हुनर का सिर्फ़ एक प्रतिशत भारत को लौटाने की सोचें। हमारा ज़्यादा भला होगा। (उन्हें भी ज़्यादा मानसिक और आत्मिक शांति मिलेगी।)

हर पैर को जूता मिले, हर जूते को पालिश मिले और हर पालिश वाले को काम मिले।
लोकल ट्रेन समय पर आए, उसमें घुसने भर को जगह मिल जाए, खिड़की वाली सीट मिले। (झगड़ा न हो, जेब न कटे) वेतन मान बढ़ें, एरियर्स मिलें। (बीवी को पता न चले)
राम को घर मिले और हर लड़की को बिना दहेज वर मिले।हर हाथ को काम मिले और हर काम का दाम मिले।दहेज और रिश्वत लेने वालों के हृदय परिवर्तन हों। (लेकिन देने वाले पहले की तरह देते रहें) ।एस. एम. एस. करने वाले भी सीखें कि जीवन के सारे कारोबार एस. एम. एस. से नहीं निपटाए जा सकते।

हालाँकि पहले से तय है कि इस साल भी हमारी किस्मत में वही कुछ बदा है जिसके हम बरसों से आदी रहे हैं। अख़बारों में (जीवन में भी) वही बलात्कार, भ्रष्टाचार, चोरी, हत्याओं और कुकर्मों की ख़बरें रहेंगी, घोटाले होते रहेंगे, अपराधों की जाँच करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ही अपराधों के दोषी पाए जाते रहेंगे, लेकिन आँच किसी भी दोषी के चेहरे पर नहीं आएगी। अख़बार वाले चाहे जितने पन्ने काले कर लें, कालिख किसी भी दोषी के चेहरे तक नहीं पहुँच पाएगी।

इस देश में ग़रीब की भी सुनवाई हो और उसे भी इंसान का दर्जा दिया जाए।
जीवन जीने लायक लगे।कुछ तो अच्छा लगे, कुछ तो प्यारा लगे।जीवन में कुछ तो रस बचा रहे।
देश अपना-सा लगे और यह वर्ष, यह वर्ष भी ठीक-ठाक गुज़र जाए।

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