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Thursday, November 4, 2010

तुम बिन सब अधूरा होगा

फिर वो ही चाँद होगा


वो ही सितारों का कारवां होगा

फिर वो ही बहारें होगी

वो ही फूलों का नजारा होगा

सब कुछ होगा मगर फिर भी

तुम बिन सब अधूरा होगा



फिर वो ही गाँव और चौबारा होगा

वो ही पनघट का नजारा होगा

फिर वो ही आपस में बतियाती सहेलीयां होगी

वो खिलखिलाहट और मुस्कानें होगी

सब कुछ होगा मगर फिर भी

एक चेहरा वहाँ नहीं होगा



फिर वो ही पीपल की छाँव होगी

वो ही इंतज़ार होगा

फिर वो ही दोपहर की धूप होगी

वो ही तेरी यादें होगी

सब कुछ होगा मगर फिर भी

जब तू नहीं होगा तो कुछ नहीं होगा



फिर वो ही डायरी होगी

वो ही तेरा नाम होगा

मगर हाथ ना अब उठेंगे

आँखों से अश्कों का इक नया रिश्ता होगा

डूबते दिल को तेरी यादों का सहारा होगा



फिर वो ही महफिले होगी

वो ही ग़ज़लों का सफ़र होगा

फिर वो ही शमा होगी

मगर इक आवाज ना होगी , जब

अंजन  उस महफ़िल में ना होगा

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