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Thursday, October 28, 2010

शराबी युवा कैसे देंगे चीन और अमेरिका को टक्कर ?

आज करे परहेज़ जगत, पर, कल पीनी होगी हाला,आज करे इन्कार जगत पर कल पीना होगा प्याला,

आजकल के युवा, महाकवि हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की इन पंक्तियों को मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं ये बात हम नहीं बल्कि एसोचैम द्वारा किए गए के सर्वे से साफ हुई है.

यूथ कल पर कुछ नहीं छोड़ना चाहता सब कुछ आज ही कर लेना चाहता है. मेट्रो शहरों के बारहवीं में पढ़ने वाले 45 पर्सेंट बच्चे महीने में कम से कम पांच से छह बार शराब पीते हैं. और तो और रहे पिछले 10 साल में टीनेजर्स के बीच शराब की खपत दोगुनी हो गई है.

टीनेजर्स में शराब का चलन सबसे ज्यादा दिल्ली और एनसीआर में है. इसके बाद मुंबई का नंबर है. एक स्टूडेंट साढ़े तीन से चार हजार रुपए शराब पर खर्च करता है. जबकि इतनी रकम वे सॉफ्ट ड्रिंक , चाय , दूध , जूस , कॉफी , मूवी टिकट और किताबों पर नहीं खर्च करते. 70 पर्सेंट टीनेजर्स फेयरवेल , न्यू ईयर , क्रिसमस , वैलंटाइन डे , बर्थडे और दूसरे अवसरों पर शराब पीते हैं। सर्वे के मुताबिक , एक तिहाई टीनेजर्स ने कॉलेज पहुंचने से पहले शराब पी ली थी , जबकि 16 पर्सेंट टीनेजर्स ने 15 साल से पहले ही हाला यानी शराब से दोस्ती कर ली थी.

ज्यादातर टीनेजर्स ने पहली बार शराब दोस्तों के साथ पी थी. इस मामले में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं वो भी लड़कों को पूरी टक्कर दे रही हैं. लड़कियों में 40 पर्सेंट ने 15 साल से 17 साल की उम्र में पहली बार शराब पी थी. जिन लड़कियों को अल्कोहल का स्वाद पसंद नहीं , वे फ्रूट फ्लेवर्ड शराब पीती हैं.

आपने फीचर फिल्म कुली में आशा भोसले और शब्बीर कुमार को गाते हुए सुना होगा ….मुझे पीने का शौक नहीं पीता हूं गम भूलाने को.. ये फ़िल्मी गाना है लेकिन आजकल की युवा पीड़ी इसे सच साबित करने में दिन रात जुटी हुई है मजेदार बात है ज्यादातर टीनेजर शराब को टेंशन खत्म करने के लिए पीते हैं.

पर सवाल यह है कि क्या शराब हकीकत में टेंशन दूर भगाती है? आखिर युवा पीढ़ी में इतना दबाव क्यों है जो वो ऐसे रास्ते खोज रही है? इसके लिए कौन से बदलाव जिम्मेदार हैं? क्या हम युवा पीढ़ी को चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार नहीं कर पाए हैं? अगर नहीं तो उसे इसके लिए कैसे तैयार किया जाए? क्या युवा पीढ़ी सही दिशा में बढ रही है? या उन्हें सही दिशा में लाने के प्रयास होने चाहिए.

ये वो सवाल हैं जिनका जवाब समय रहते खोजना ज़रूरी है नहीं तो समाज के मूलभूत ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है. जिस यूथ के दम पर हम अमेरिका और चीन जैसे शक्तिशाली देशों से टक्कर लेने का सुंदर सपना सजा रहे हैं अगर हमारा वही यूथ नशे में डूबा होगा तो हम उनसे कैसे मुकाबला करेंगे.

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