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Tuesday, August 3, 2010

चंद अशआर


देख लो ख्व़ाब मगर ख्व़ाब का चर्चा न करो
लोग जल जायेंगे सूरज की तमन्ना न करो

वक़्त का क्या है किसी पर भी बदल सकता है
हो सके तुम से तो तुम मुझ पे भरोसा न करो

किर्चियां टूटे हुए अक़्स की चुभ जाएँगी
और कुछ रोज़ अभी आईना देखा न करो

बेख्याली में कभी उँगलियाँ जल जायेंगी
राख गुज़रे हुए लम्हों की कुरेदा न करो




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